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किसान महापंचायत बनी मजबूरी, गठवाला खाप से सुलह-समझौता के मूड में नरेश टिकैत

मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली महापंचायत किसान आंदोलन का भविष्य तय करने वाली है. ऐसे में बीजेपी विधायक उमेश मलिक के समर्थन में खुलकर गठवाला खाप के आने से भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत बैकफुट पर आ गए हैं. टिकैत भेदभाव और गिले-शिकवे भुलाकर अब सुलह-समझौता के मूड में नजर आ रहे हैं. 

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किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत
किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसान आंदोलन का भविष्य तय करेगी महापंचायत
  • मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को किसान पंचायत
  • नरेश टिकैत गठवाला खाप से सुलह के मूड में है

पश्चिम यूपी के मुजफ्फरनगर में पांच सिंतबर को होने वाली किसान महापंचायत के जरिए भारतीय किसान यूनियन अपनी सियासी ताकत दिखाना चाहती है. यह पंचायत किसान आंदोलन का भविष्य तय करने वाली है. ऐसे में बीजेपी विधायक उमेश मलिक के समर्थन में खुलकर गठवाला खाप के आने से भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत बैकफुट पर आ गए हैं. टिकैत भेदभाव और गिले-शिकवे भुलाकर अब सुलह-समझौता के मूड में नजर आ रहे हैं. 

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बता दें कि मुजफ्फरनगर के सिसौली में पिछले दिनों बीजेपी विधायक उमेश मलिक की गाड़ी पर हुए हमले और बलियान खाप के प्रमुख नरेश टिकैत के सख्त तेवर से जाट समुदाय दो हिस्सों में बंटा हुआ नजर आ रहा था. ऐसे में गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक नाराज हो गए हैं और बीजेपी विधायक उमेश मलिक के समर्थन में खुलकर उतर आए हैं. इसके चलते किसान पंचायत पर भी संकट गहराया गया है. 

गठवाला खाप के तेवर सख्त 

खरड़ गांव के किसान इंटर कॉलेज में गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक की अध्यक्षता में मंगलवार को एक पंचायत हुई, जिसमें उमेश मलिक पर हुए हमले की निंदा करते हुए 5 सितंबर को भाकियू की मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत का बहिष्कार का ऐलान किया गया. साथ-साथ यूपी-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में गठवाला खाप के लोगों को ना जाने का आदेश दिया गया है. 

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गठवाला खाप के चौधरी बाबा राजेंद्र मलिक ने कहा था, 'नरेश टिकैत बलियान खाप के साथ-साथ भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं. ऐसे में वो 10 दिन के अंदर अगर वो बयान वापस नहीं लेते हैं तो गठवाला खाप सभी 36 बिरादरिओं के साथ मिलकर खाप चौधरियों के साथ एक पंचायत करेगी.' इसी दौरान मास्टर हरवीर सिंह ने खड़े होकर कहा कि 5 सितंबर को होने वाली किसान पंचायत में गठवाला खाप से कोई व्यक्ति नहीं जाएगा और सभी के हाथ उठवा कर सभी से इस बात का प्रण लिया. 

नरेश टिकैत समझौता के मूड में

गठवाला खाप के कड़े रुख अपनाने और किसान पंचायत का बहिष्कार करने के ऐलान के बाद गठवाला खाप के लोग के गांव में आयोजित सभा में नरेश टिकैत पहुंचे और सुलह-समझौता के मूड में नजर आए. टिकैत ने कहा कि खरड़ की पंचायत के बारे में सुना. राजेंद्र सिंह हमारे बड़े हैं, उन्होंने दस दिन का समय दिया है. दस दिन तो बहुत दूर हैं, पर हमसे तो अभी कोरे कागज पर साइन करा लो और उसमें कुछ भी लिख लो, हम तो उन पर इतना विश्वास करते हैं. 

उन्होंने कहा कि हम रोजाना कुछ न कुछ बयान देते हैं. किसी को हमारी बातों से ठेस भी पहुंचती होगी, हमारा मकसद कभी किसी को ठेस पहुंचाना नहीं रहता. लेकिन साथ ही नरेश टिकैत ने कहा कि वह गलत हाथों में चले गए, मुख्यमंत्री से मिलकर वह सोच रहे हैं कि सब कुछ हो गया. यह सरकार हमेशा नहीं रहेगी. इसके बहकावे में न आएं. आखिर में अपना परिवार ही काम आता है. उन पर बड़ी जिम्मेदारी है. भूलचूक हो जाती है, वह भी अपने ही हैं. गलत परंपरा नहीं शुरू होनी चाहिए. उन्हें आदेश नहीं दे सकते, सलाह ही दे सकते हैं. शामली वालों ने जब भी जरूरत पड़ी तो जीजान से साथ दिया. 

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बीजेपी विधायक समाज को बांट रहे
नरेश टिकैत ने कहा कि बीजेपी विधायक उमेश मलिक ने हमेशा समाज के विपरीत चलने का काम किया. समाज को बांटने का काम किया. उन्हें समझाया भी, लेकिन वह नहीं माने. उस दिन भी उन्हें किसी ने कुछ नहीं कहा. जो उनकी गाड़ी पर कालिख पोती, वो हम धो देंगे, अपनी गाड़ी धोते हैं, उनकी भी धो देंगे. शीशा टूट गया, उसका बिल दे देंगे, लेकिन समाज को बांटों मत. 

नरेश टिकैत ने कहा कि राजेंद्र चौधरी को हमने कुछ नहीं कहा. वह पता नहीं क्यों नाराज हैं. उन्हें तो हम कह सकते हैं, वह बराबर के हैं. नाई की मिलाई नाई ही करेगा. विधायक से माफी क्यों मांगे, हमने किसी को कुछ गलत नहीं कहा. किसी के गांव में घुसने का विरोध नहीं किया. हमने समझाया कि दिल्ली में धरना चल रहा है. भाजपा का विरोध चल रहा है, कहीं जाने से परहेज रखना. इस पर राजेंद्र चौधरी क्यों नाराज हैं. 

वहीं, इससे पहले नरेश टिकैत ने उमेश मलिक को गांव में घुसने और संजीव बलियान से मामले को जल्द से जल्द निपटाने की चुनौती दी थी. लेकिन, पांच सिंतबर को होने वाली किसान महापंचायत को देखते हुए वो बैकफुट पर नजर आ रहे. इसकी वजह यह है कि अगर जाट समुदाय का एक गुट अगर किसान पंचायत का बहिष्कार करता है तो भारतीय किसान यूनियन की सियासी ताकत पर असर पड़ सकता है. गठवाला खाप की समाज में अपना आधार है. ऐसे में नरेश टिकैत ने नरम रुख अपनाकर चलने की रणनीति अपनाई है. 

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