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यूपी में किसान सम्मान निधि योजना की पहली किश्त के इंतजार में कई किसान

केंद्र सरकार की इस सम्मान निधि योजना पर उत्तर प्रदेश में किसानों की क्या राय है और प्रधानमंत्री के इस डायरेक्ट टू ट्रांसफर मुद्दे को किसान किस तरह से देखते है, इस बारे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा इसके सटे शहर बाराबंकी में किसानों के मूड और मिजाज को समझने की कोशिश की.

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल-PTI)
सांकेतिक तस्वीर (फाइल-PTI)

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लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े ही तामझाम के साथ गोरखपुर में रविवार को किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की जिसमें देश के 13 करोड़ किसानों को सालाना मिलने वाली 6 हजार रुपये की राशि की पहली किश्त के 2 हजार रुपये जारी कर दिए. अकेले उत्तर प्रदेश में करीब पौने दो करोड़ किसानों के खाते में यह राशि आएगी जिसमें से कइयों के खाते में 2 हजार की पहली किश्त पहुंच भी चुकी है और बाकियों को अपने खाते में पैसे का इंतजार भी है.

केंद्र सरकार की इस सम्मान निधि योजना पर उत्तर प्रदेश में किसानों की क्या राय है और प्रधानमंत्री के इस डायरेक्ट टू ट्रांसफर मुद्दे को किसान किस तरह से देखते है, इस बारे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा इसके सटे शहर बाराबंकी में किसानों के मूड और मिजाज को समझने की कोशिश की गई.

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बाराबंकी में पैसे नहीं पहुंचने से किसानों की नाराजगी

किसानों की राय जानने आजतक की टीम बाराबंकी के शुक्लई गांव पहुंची. इस गांव के दर्जनों किसान प्रधानमंत्री मोदी के ₹2,000 पहली किश्त हासिल कर चुके हैं, हालांकि अभी भी ऐसे कई लोग भी हैं जिन तक अभी यह रकम नहीं पहुंची है. इस गांव के खेतों में जब आजतक ने इन किसानों से बात की तो ज्यादातर किसान इस बात से संतुष्ट नजर आए कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक पहल की है लेकिन कई इस बात से दुखी भी थे कि अब तक न तो उनके पास पैसे पहुंचे हैं और ना ही कइयों के फॉर्म भरे गए हैं.

शुक्लई गांव के पास के गांव के कुछ किसानों को सरकार की ओर से किसान सम्मान निधि योजना के सर्टिफिकेट भी दे दिए गए हैं जिसमें यह बताया गया है कि उन्हें ₹6,000 इस योजना के तहत दी जा रही है. कई किसानों ने अपने मोबाइल पर आए एसएमएस भी हमें दिखाएं. ज्यादातर लोग इस बात के इंतजार में है कि उनके खाते में पैसे आएंगे. हालांकि कई इस बात से नाराज दिखे कि यह योजना महज वोट फॉर कैश जैसी है, और तो और रकम इतनी कम है कि इसका कोई फायदा किसानों को नहीं होने वाला.

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कई बुजुर्ग किसानों ने कहा कि यह योजना कर्ज माफी की योजना से कहीं बेहतर है और वह इसका इस्तेमाल बीज खरीदने, पटवन करने या फिर खाद खरीदने में कर सकते हैं, लेकिन कई किसान इस बात से नाराज थे कि इतनी कम रकम किसी काम की नहीं होने वाली क्योंकि खाद और बीज इतने महंगे हो चुके हैं कि वह इतनी रकम से कोई भरपाई नहीं कर पाएंगे.

इस दौरान कई किसानों ने वह फॉर्म दिखाए जिस फॉर्म को भरे जाने के बाद उनका नाम इस लाभार्थी की लिस्ट में आएगा. इस फॉर्म में किसान का नाम, जाति, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और उसके जमीन के रिकॉर्ड को लिखना है. जिस किसान के पास 2 हेक्टेयर यानी 20 बीघा से कम जमीन होगी उन्हें इसका लाभ मिलेगा.

फिलहाल लोगों के खाते में पैसे पहुंचने शुरू हो गए हैं और अब ज्यादातर किसान इस उम्मीद में है कि उनके फॉर्म जल्द से जल्द भरे जाएं और उनके अकाउंट में भी पैसे आएं. प्रधानमंत्री मोदी ने गोरखपुर के अपने भाषण में यह कहा था कि 13 करोड़ लोगों को पहली किस्त के ₹2,000 दिए जाने हैं और शुरुआत होने के साथ ही अगले तीन से चार हफ्तों के बीच पहली किस्त सभी किसानों के खाते में पहुंच जाएगी.

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लखनऊ के किसान योजना से खुश नहीं

बाराबंकी में किसान तो संतुष्ट नजर आए लेकिन राजधानी लखनऊ में कुछ किसान खासकर किसानों की राजनीति से जुड़े लोग इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हैं. लखनऊ के नौबस्ता गांव में करीब एक दर्जन किसानों से आजतक ने बात की इसमें कई बड़े किसान हैं तो कई छोटे और मझोले काश्तकार भी थे.

लखनऊ के किसान सरकार की इस योजना से खुश नहीं दिखे उनके मुताबिक पहल अच्छी हो सकती है, लेकिन सरकार किसान विरोधी नीतियों को आगे बढ़ा रही है, इन किसानों के मुताबिक सरकार अगर किसानों के खरीद की व्यवस्था कर दे जो उन्होंने किसानों के लिए डेढ़ गुना समर्थन मूल्य का वादा किया था. खाद और यूरिया की कीमतों को कम कर दे तो इस ₹6,000 की सहायता राशि की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी और अगर सरकार को सहायता राशि देनी है तो कम से कम 20 से 25,000 देना चाहिए ताकि किसानों का कुछ भला हो सके.

बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना को लेकर किसानों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया है. ज्यादातर किसान अपने खाते में पैसे का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक तौर पर कई दलों से जुड़े किसान इसका विरोध भी कर रहे हैं. उनके मुताबिक सरकार का यह वोट फॉर कैश का मामला है और चुनाव बाद सरकार इसे बंद भी कर देगी.

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