लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा शनिवार को क्राइम ब्रांच से सामने पेश हो गया, जहां पूछताछ की जा रही है. क्राइम ब्रांच की ओर से जारी पहले नोटिस के बाद आशीष नहीं पहुंचा तो क्राइम ब्रांच ने दूसरा नोटिस देकर आज 11 बजे तक पेश होने का अल्टीमेटन दिया था. क्राइम ब्रांच ने पेश ना होने की स्थिति में गिरफ्तारी की चेतावनी दी थी. आशीष दर्जनभर लोगों के हलफनामे के साथ क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचा है जिसमें ये कहा गया है कि वो घटनास्थल पर मौजूद नहीं था. वो दंगल के कार्यक्रम में था.
आशीष मिश्र के खिलाफ हत्या, बलवा जैसी संगीन धाराओं में केस दर्ज है, ऐसे में संभव है कि क्राइम ब्रांच पूछताछ के बाद उसकी गिरफ्तारी कर ले. गिरफ्तारी की आशंका देख लखीमपुर खीरी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दफ्तर पर सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी, आशीष मिश्रा के समर्थक भी जुट गए हैं. बीजेपी दफ्तर पर जुटे अजय मिश्रा टेनी और आशीष मिश्रा के समर्थक उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहे हैं. भारी तादाद में बीजेपी समर्थकों का जमावड़ा लगा है.
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने बीजेपी दफ्तर की बालकनी में आकर समर्थकों से शांत हो जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि वो पूछताछ के लिए गया है. इस सरकार में निष्पक्ष जांच होगी. अजय मिश्रा टेनी ने कहा कि ऐसी-वैसी कोई बात नहीं है. ऐसी-वैसी कोई बात होगी तो हम आपके साथ हैं. अजय मिश्रा टेनी के इस बयान को एक तरह से गिरफ्तारी की स्थिति में सरकार के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है.
समर्थकों ने बताया किसानों के रूप में आतंकी
अजय मिश्रा के कार्यालय पर मौजूद समर्थकों ने कहा कि आशीष भैया दंगल में थे. समर्थकों ने ये भी कहा कि घटनास्थल पर किसानों के रूप में आतंकवादी थे.
किसानों ने भी दी है चेतावनी
एक तरफ बीजेपी के कार्यालय पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है. बीजेपी कार्यकर्ता आशीष को निर्दोष बता उसके समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ किसानों ने भी मोर्चा खोल दिया है. किसानों ने आशीष की गिरफ्तारी न होने की स्थिति में रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है. अब एक तरफ केंद्रीय मंत्री और उनके समर्थक हैं तो वहीं दूसरी तरफ किसान संगठन और कोर्ट, पुलिस प्रशासन को फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
आठ लोगों की मौत के इस मामले में आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ हत्या और अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था लेकिन किसी आरोपी की गिरफ्तारी तो दूर, पूछताछ तक नहीं हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा था कि हत्या के मामले में तो सीधे गिरफ्तारी ही होती है न. सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर सरकार को फटकार लगाई तब जाकर पुलिस प्रशासन एक्टिव मोड में आया.