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लखीमपुर खीरी हिंसाः गुरविंदर सिंह के आश्रम में सन्नाटा, साथी सेवादार ने बताया 3 अक्टूबर का खौफनाक मंजर

साहब सिंह ने तिकुनिया कांड का दिल दहला देने वाला आंखों देखा मंजर बयान किया. साहब सिंह के मुताबिक उनके सामने ही एक चीख के साथ वो सब कुछ खत्म हो गया जिसे उन्होंने बीते कुछ साल में एक-एक पल बढ़ते देखा था.

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गुरविंदर सिंह (फाइल फोटो)
गुरविंदर सिंह (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेवादार ने बताई हिंसा में गुरविंदर की मौत की सच्चाई
  • पिता बोले- आंदोलन में शामिल हो पूरी करेंगे बेटे की इच्छा

लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जिले में हुई हिंसा में बहराइच जिले के मोहनिया गांव निवासी 20 साल के गुरविंदर की भी मौत हो गई थी. इस घटना के सात दिन बाद लखीमपुर की हिंसा में जान गंवाने वाले बहराइच के दो किसानों के घर नेताओं की गाड़ियों का शोर भले ही थम रहा हो लेकिन इन्हें चाहने वालों, परिवार के लोगों की आंखों के आंसू नहीं थम रहे.

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बहराइच जिले के मोहनिया निवासी गुरविंदर कम उम्र में ही अध्यात्म की ओर मुड़ चले थे. गुरविंदर ने घर छोड़ दिया था और खेत में झोपड़ी लगाकर वहीं धूनी रमा ली थी. गुरविंदर की मौत के बाद उनका आश्रम अब सूना हो चला है.

आश्रम में पसरा सन्नाटा

आश्रम के भीतर गड़े त्रिशूल के सामने जल रही धूनी की लौ मद्धिम पड़ चुकी है. गुरविंदर की मौत बेशक उसके परिवार को झकझोर गई हो लेकिन इन सबके बीच कोई और भी है जिसकी पथराई आंखें आश्रम आने-जाने वाली हर आहट में उनको ही तलाश रही हैं. गुरविंदर के सेवादार साहब सिंह आने-जाने वाली हर आहट में गुरविंदर को ही तलाश रहे हैं.

'आजतक' ने गुरविंदर के आश्रम पहुंचकर घटना के वक्त भी उनके साथ रहे सेवादार साहब सिंह, पिता सुखविंदर सिंह से 3 अक्टूबर की घटना को लेकर बात की. उनके जीवन के अन्य पहलुओं को भी जाना.

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प्रदर्शन में बाइक से पहुंचे थे गुरविंदर

लखीमपुर में बीते 3 अक्टूबर को प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए बहराइच के नानपारा से 20-30 लोग बाइक से ही केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने गए थे. आजतक को मौत से कुछ घंटे पहले का गुरविंदर सिंह का एक वीडियो हाथ लगा है जिसमें वे बहराइच के कतरनिया घाट वाइल्ड लाइफ क्षेत्र से होकर गुजरने वाली 40 किलोमीटर लंबी सड़क पर अपने सेवादार साहब सिंह के साथ काला झंडा लिए मस्ती में बाइक से जाते दिख रहे हैं.

साहब सिंह ने तिकुनिया कांड का दिल दहला देने वाला आंखों देखा मंजर बयान किया. साहब सिंह के मुताबिक उनके सामने ही एक चीख के साथ वो सब कुछ खत्म हो गया जिसे उन्होंने बीते कुछ साल में एक-एक पल बढ़ते देखा था.

''गुरविंदर को पहले गोली मारी गई बाद में उसको दूसरी गाड़ी कुचलते हुए निकल गई. तीसरी गाड़ी से लगे झटके में वह नीचे गिर गया. 10 मिनट बाद जब उसे होश आया तो देखा कि वहां चीख-पुकार मची थी. बहुत लोग कुचले पड़े थे, किसी के पैर पर गाड़ी चढ़ी थी तो किसी के पेट पर या किसी का सिर कुचल गया था. गुरविंदर की मौत हो चुकी थी.''

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नानपारा के बंजारन टांडा के निवासी साहब सिंह ने बताया कि दो साल से गुरविंदर की सेवा कर रहे थे. जब गुरविंदर 16 साल के थे, हम तबसे उनके साथ थे. जब हम गुरुद्वारा जाते तब वे हमें बताते कि ऐसे नहीं ऐसे करो. उन्होंने बताया कि किसानों के खिलाफ जो टेनी ने बोला था, हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. पीछे से उनकी गाड़ियां आईं, प्रशासन किनारे हो गया और गाड़ियां कुचलती हुई निकल गईं. साहब सिंह ने बताया कि गुरविंदर को जब गोली लगी तो दूसरी गाड़ी ने उनको कुचल दिया. बाद में तीसरी गाड़ी से हमें भी धक्का लगा जिसके बाद हम बेहोश हो गए. 10 मिनट बाद जब होश आया तब देखा कि गुरविंदर की मौत हो गई है.

टेनी के लड़के को बचाकर ले गई पुलिस

साहब सिंह उस घटना का मंजर बताते हुए कहते हैं कि बहुत से लोग कुचले गए थे. किसी की टांग पर, किसी के पेट पर तो किसी के सिर पर गाड़ी चढ़ गई थी. गुरविंदर को जब गोली मारी गई तो उसके बाद उसके पीछे वाली गाड़ी चढ़ी. पुलिस ने कोई मदद नहीं की. पुलिस उल्टा टेनी के लड़के को बचाकर ले गई. जिस गुरविंदर को लोग प्रदर्शनकारी, खालिस्तानी आतंकी बता रहे हैं उसने तो बेहद कम उम्र से भक्ति के मार्ग पर कदम बढ़ा दिए थे. गुरविंदर के पिता सुखविंदर बताते हैं कि उसने महज 16 साल की उम्र में ही शांति की तलाश में घर से दूर कुटी बनाकर रहना शुरू कर दिया था.

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सुखविंदर सिंह बताते हैं कि गुरविंदर मोहमाया से परे हो चुका था. आश्रम पर वह अपनी मां और बहन को भी नहीं आने देता था. वह कहता था कि तुम लोग भक्ति नहीं करने देते हो डिस्टर्ब करते हो. उसके पिता के मुताबिक गुरविंदर ने शादी विवाह से इनकार कर दिया था. अगर कोई शादी की बात भी करता तो उसे चिढ़ होती थी. वह अपने कपड़े फाड़ने लगता था, शरीर नोचने लगता था. पिता सुखविंदर सिंह के मुताबिक उसके बेटे की भरपाई नहीं हो सकती. यह पूछने पर कि क्या वह कभी किसी आंदोलन का हिस्सा रहे तो वो इससे पूरी तरह इनकार करते हैं.

किसान आंदोलन में शामिल होंगे सुखविंदर

गुरविंदर के पिता सुखविंदर ने साथ ही ये भी कहा कि अब वे अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए किसान आंदोलन में शामिल होंगे. नम आंखों से सुखविंदर ने कहा कि बेटा अब यहां नहीं रहा लेकिन वे जहां भी किसानों का आंदोलन होगा, वहां जाएंगे.

मृतक गुरविंदर अपने परिवार में तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था. सुखविंदर सिंह भी तीन भाई और चार बहन हैं जो कुछ साल पहले बहराइच के मोहनिया में जमीन खरीद कर रहने लगे थे. सुखविंदर ने बताया कि उनका पुश्तैनी घर देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान के लाहौर में पड़ गया था. इसके बाद परिवार पंजाब के मुक्तसर जिले में बस गया. बहराइच जिले के मोहनिया में साल 2015 में उनके बड़े भाई सुखदेव सिंह ने 14 बीघा जमीन खरीद कर यहां अपना आशियाना बनाया. सुखविंदर बताते हैं कि उनके एक अन्य भाई सुरेंद्र सिंह ने भी इतनी ही जमीन खरीदी. सबसे अंत में वे चार बीघे जमीन खरीद वे भी यहीं आ गए.

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