सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी केस के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत रद्द कर दी. इस दौरान कोर्ट ने कई तल्ख टिप्पणियां भी कीं. ये टिप्पणियां इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर हैं. दरअसल, लखीमपुर खीरी केस के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
- सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए अपने आदेश में कहा, आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर कोर्ट निष्पक्ष और संतुलित ढंग से विचार करे और 3 महीने में इसका निपटारा करे.
- SC ने आशीष मिश्रा को 1 हफ्ते में सरेंडर करने को कहा है.
- SC ने कहा- अगर पीड़ित पक्ष अपने लिए वकील करने में अक्षम है, तो हाईकोर्ट का उत्तरदायित्व है कि वो उनके लिए राज्य सरकार के खर्चे पर आपराधिक कानून की विशेषज्ञता वाले उपयुक्त वकील का भी इंतजाम करे ताकि उन्हें न्याय मिल सके.
- कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान एफआईआर सहित कई अप्रासंगिक चीजों को महत्व दिया
- SC ने कहा- एफआईआर को घटनाओं का इनसाइक्लोपीडिया नहीं माना जा सकता.
- कोर्ट ने कहा, एफआईआर में आग्नेयास्त्रों से गोली चलाने का जिक्र है. लेकिन मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहीं गोलियां नहीं मिलीं. मेरिट के आधार पर इसका फायदा आरोपी को नहीं दिया जा सकता. लेकिन हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को राहत दी.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जमानत अर्जी पर फैसला करते समय कोर्ट को घटनाओं और साक्ष्यों का अवलोकन और मूल्यांकन करने से बचना चाहिए. क्योंकि ये काम ट्रायल कोर्ट का है.
- SC ने कहा, हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना. जल्दबाजी में जमानत दी.
क्या है मामला?
दरअसल, पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर में हिंसा फैली थी. इस दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी. दरअसल, यहां पर कुछ किसान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के दौरे का विरोध कर रहे थे. उसी वक्त ये हिंसा फैली थी. आरोप है कि आशीष मिश्रा की कार से चार किसानों की कुचलकर मौत हो गई थी. इसके बाद गुस्साई भीड़ ने दो बीजेपी कार्यकर्ताओं समेत 3 लोगों की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस हादसे में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
यूपी सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी. एसआईटी ने इस मामले में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. हालांकि, यूपी चुनाव के दौरान हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं.