scorecardresearch
 

'लॉ एंड ऑर्डर' अखिलेश सरकार की गले की फांस

शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और पिछड़े उत्तर प्रदेश को विकास की रास्ते पर ले जाने की बात करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती चरमराई कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण करना है.

Advertisement
X
अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और पिछड़े उत्तर प्रदेश को विकास की रास्ते पर ले जाने की बात करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती चरमराई कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण करना है.

Advertisement

जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के पांच महीने के कार्यकाल के अंदर साम्प्रदायिक हिंसा की पांच घटनाएं हो चुकी हैं. इसके अलावा असम हिंसा के विरोध में बीते सप्ताह उपद्रवियों ने पुलिस प्रशासन से बेखौफ होकर राजधानी लखनऊ के साथ कानपुर और इलाहाबाद में पार्कों और सैकड़ों वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की.

सूबे के बरेली में गत 11 अगस्त से लगातार कर्फ्यू जारी है. जन्माष्टमी की शोभायात्रा निकालने को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हुई साम्प्रदायिक झड़प के बाद यहां जिला प्रशासन ने चार थाना क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया था. बरेली में साम्रदायिक हिंसा की एक अन्य घटना का लेकर गत आठ अगस्त को ही कर्फ्यू हटाया गया था.

शहर में कांवरियों द्वारा यात्रा निकालने जाने को लेकर गत 22 जुलाई को दो समुदायों में साम्प्रदायिक हिंसा के बाद पूरे शहर के आठ थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया था. इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई थी और करीब दो दर्जन लोग घायल हुए थे. बरेली की तरह मथुरा कोसीकला इलाके में गत एक जून को पानी के विवाद में दो समुदायों के बीच हुई साम्रदायिक हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और तीस लोग घायल हुए थे. करीब एक सप्ताह तक यहां कर्फ्यू लगाया था.

Advertisement

इससे पहले प्रतापगढ़ जिले के अस्थान गांव में गत 24 जून को एक दलित किशोरी की बलात्कार के बाद हत्या के बाद दो समुदाय के बीत जमकर हिंसा हुई थी. पीड़िता के परिजनों ने करीब पचास घरों को आग के हवाले कर दिया था. जिले में दूसरी साम्प्रदायिक हिंसा की घटना गत सात अगस्त को सिनाही गांव में घटित हुई थी, जहां टैम्पो चालक द्वारा किराए मांगे जाने के बाद दो मुदाय आपस में भिड़ गए थे. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

साम्प्रदायिक हिंसा की हर घटना के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कारवाई के नाम पर केवल संबंधित जिलों के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण कर दिया.

किसी हिंसाग्रस्त जगह का उन्होंने दौरा भी नहीं किया. जानकारों का मानना है कि लगातार हो रही साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं क्योंकि राज्य सरकार अब तक ऐसी घटनाओं पर सख्ती का संदेश देने में अब तक विफल रही है.

कानून व्यवस्था किसी भी राज्य के विकास के लिए सबसे प्रमुख बिंदु होता है. उत्तर प्रदेश पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.एम.नसीम ने कहा कि कानून व्यवस्था बहुत गम्भीर मसला होता है और जब तक इससे सख्ती से नहीं निपटा जाता जब तक इस नियंत्रण संभव नहीं है.

Advertisement

उन्होंने कहा, 'पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के मन में ये बात बैठ गई है उनका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है. उन्हें पता है कि सरकार की तरफ से स्थानांतरण से ज्यादा कुछ नहीं होगा, जरूरत है निलंबन या उससे बड़ी कार्रवाई करके एक सख्त संदेश देने की, जिससे उनके मन में डर पैदा हो और वो अपना कर्तव्य पूरी जिम्मेदारी से निभाएं.'

सूबे के एक और पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल.गुप्ता कहते हैं, 'पुलिस प्रशासन के अधिकारियों पर ही केवल कार्रवाई से ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी. राज्य सरकार हिंसा भड़काने वाले और उनमें शामिल लोगों के खिलाफ नरम नवैया अपनाने के बजाय कठोर रुख अपनाए तब जाकर कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकेगा.'

 

Advertisement
Advertisement