उत्तर प्रदेश की रायबरेली संसदीय सीट देश के चंद हाईप्रोफाइल सीटों में से एक मानी जाती है. इस सीट पर सोमवार को मतदान किया गया. इस सीट पर 53.60% मतदान दर्ज किया गया. वहीं इस पांचवे चरण में शामिल उत्तरप्रदेश की 14 सीटों पर औसत मतदान का आंकड़ा 53.20% रहा.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी रायबरेली सीट से पांचवीं बार चुनावी चुनौती पेश कर रही हैं. अगर सोनिया इस बार भी चुनावी जंग फतह करने में कामयाब रहती हैं तो उनके नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा. रायबरेली के सियासी इतिहास में पहली बार होगा जब कोई नेता पांचवीं बार यहां से जीतकर संसद पहुंचेगा. अब देखना होगा कि बीजेपी सोनिया के विजयी रथ को इस बार रोक पाने में कामयाब हो पाती है या नहीं.
रायबरेली लोकसभा सीट पर 15 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस की सोनिया गांधी को बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से कड़ी चुनौती मिल सकती है. सपा-बसपा गठबंधन ने यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. जबकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने राम सिंह यादव मैदान में हैं. 6 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.
वहीं सोमवार को इस संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए चुना ये मेरे लिए गर्व की बात हैं. मैं रायबरेली का मिनी मोदी हूं. मैं ये चुनाव ज़मीनी नेता के तौर पर चुनाव लड़ रहा हूं.
दिनेश प्रताप सिंह ने आगे ये भी कहा कि मैं पहले कांग्रेस में था, ये मेरी गलती थी. कांग्रेस में सम्मान नहीं किया जाता था. मैंने अभी केएल शर्मा के पांव छुए, ये हमारे संस्कार हैं. लेकिन प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने कभी पांव नहीं छुए. राहुल गांधी जब अध्यक्ष बने थे, उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी के पांव नहीं छुए थे.
आगे उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी में रहा हूं इसलिए इन सबका चिट्ठा जानता हूं. 23 मई को पता चल जाएगा कि मैं बलि का बकरा नहीं हूं.
दिनेश प्रताप सिंह के मुताबिक, रायबरेली की जनता बहुत समझदार हैं. सोनिया गांधी लाखों वोट चुनाव से चुनाव हार रही हैं इसका पता 23 मई को चल जाएगा.
सोनिया गांधी के नाम रिकॉर्ड
रायबरेली लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव में कोई भी उम्मीदवार चार बार से अधिक चुनाव जीतकर लोकसभा नहीं पहुंचा है. जबकि फिरोज गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं. इस सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा चार बार जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम है.
सोनिया गांधी ने जब सियासत में कदम रखा तो पहली बार उन्होंने अपने पति राजीव गांधी की संसदीय सीट अमेठी को अपनी कर्मभूमि बनाया और 1999 में यहीं से चुनकर पहली बार संसद पहुंचीं. 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में एंट्री के बाद सोनिया गांधी ने बेटे के लिए अमेठी छोड़कर अपनी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रायबेरली को अपनाया और यहीं की होकर रह गईं.
सोनिया गांधी ने रायबेरली सीट से पहला चुनाव 2004 में लड़ा और करीब ढाई लाख मतों के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की. लेकिन उन्हें कार्यकाल में लाभ के पद के आरोप के चलते लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था. 2006 में उपचुनाव हुआ और सोनिया गांधी करीब 4 लाख 17 हजार मतों से जीत दर्ज की. 2009 में वह एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरीं और उन्होंने पौने चार लाख मतों से जीत हासिल की. इसके बाद चौथी बार 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरीं और करीब साढ़े तीन लाख वोटों से जीत हासिल की.
सोनिया के बाद इंदिरा गांधी
सोनिया गांधी के बाद सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकॉर्ड इंदिरा गांधी के नाम है. वह चार बार चुनावी मैदान में उतरीं और तीन बार जीत दर्ज करने में कामयाब रही थीं. इंदिरा गांधी ने पहला चुनाव 1967 में लड़ा और जीतकर संसद पहुंचीं. इसके बाद दूसरी बार 1971 में भी जीत दर्ज की और तीसरी बार वह 1977 में मैदान में उतरीं तो उन्हें राजनारायण के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद 1980 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली और मेडक सीट से पर्चा भरा और दोनों जगह से जीतने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्होंने रायबरेली से इस्तीफा दे दिया.
रायबरेली सीट से दो-दो बार जीतने का रिकॉर्ड फिरोज गांधी, बैजनाथ कुरील, अरुण नेहरू, शीला कौल और अशोक सिंह के नाम हैं. 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद बने. मोदी लहर में भी इस सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल सका है. दिलचस्प बात ये है कि सपा और बसपा इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी हैं.
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