लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण के तहत उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद लोकसभा सीट पर रविवार (12 मई) को वोट डाले गए. छठे चरण में प्रदेश की 80 सीटों में से 14 संसदीय सीटों पर औसतन 54.74 फीसदी मतदान हुआ जबकि इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 50.73 फीसदी वोट पड़े. हालांकि 2014 के चुनाव की तुलना में इस बार वोटिंग में कमी आई, पिछले चुनाव में यहां पर 53.44 फीसदी मतदान हुआ था.
2014 के चुनाव के आधार पर देखा जाए तो इन 14 सीटों में से एनडीए ने 13 और समाजवादी पार्टी (सपा) ने 1 सीट जीती थी. हालांकि इसमें फूलपुर लोकसभा सीट पर पिछले साल हुए उपचुनाव में सपा ने बीजेपी से यह सीट छीनते हुए अपने नाम कर लिया था.
इस सीट पर सुबह 9 बजे तक 8.20 फीसदी, दोपहर 1 बजे 32.08 फीसदी, 3 बजे तक 38.87 फीसदी और शाम 6 बजे तक 47.28 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. दूसरी ओर, इन 14 लोकसभा सीटों पर सुबह 9 बजे तक औसत मतदान 9.28 प्रतिशत, 11 बजे तक 21.56 प्रतिशत, दोपहर 1 बजे तक 34.30% और 3 बजे तक 43% और शाम 6 बजे तक 50.82 फीसदी दर्ज किया गया.
Lok Sabha Election 2019 Live: वोट डालकर बोलीं प्रियंका गांधी- ये देश को बचाने का चुनाव
इस सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की रीता बहुगुणा जोशी, समाजवादी पार्टी के राजेंद्र सिंह पटेल और कांग्रेस के योगेश शुक्ला के बीच है. जबकि सीपीआई के टिकट पर गिरधर गोपाल त्रिपाठी भी चुनावी ताल ठोक रहे हैं. इलाहाबाद के तहत 2 लोकसभा सीटें आती हैं जिसमें इलाहाबाद के अलावा फुलपूर की सीट भी शामिल है. फुलपूर की तरह यहां पर भी चुनाव में 14 में से 12 उम्मीदवार मैदान में हैं.
पूर्व प्रधानमंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री और वीपी सिंह के अलावा मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर मिश्रा और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गजों को लोकसभा भेजने वाली इलाहाबाद संसदीय सीट पर हर बार की तरह इस बार भी सभी की निगाहें हैं. इस बार यहां का चुनाव दिलचस्प है क्योंकि 2014 में बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले श्यामा चरण गुप्ता पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. बदले राजनीतिक समीकरण में बीजेपी के लिए अब इस सीट पर अपने वर्चस्व को बनाए रखना बड़ी चुनौती है.
1971 तक कांग्रेस का कब्जा
इलाहाबाद लोकसभा सीट पर अभी तक 16 बार लोकसभा चुनाव और 3 बार उपचुनाव हुए हैं. 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी श्रीप्रकाश कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और सांसद चुने गए. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे और लगातार दो बार जीत हासिल की. इसके बाद 1967 में हरिकृष्णा शास्त्री और 1971 में हेमवती नंदन बहुगुणा सांसद चुने गए.
कांग्रेस के इस विजयरथ को 1973 में जनेश्वर मिश्रा ने रोका. भारतीय क्रांति दल से जनेश्वर मिश्रा मैदान में उतरे और सांसद चुन लिए गए. इसके बाद 1984 में अमिताभ बच्चन ने राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. 1988 के उपचुनाव में वीपी सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की.
1996 में खुला बीजेपी का खाता
इलाहाबाद सीट पर बीजेपी का पहली बार खाता 1996 में खुला. बीजेपी की ओर से मुरली मनोहर जोशी ने 1996 से 1999 तक लगातार तीन बार जीत हासिल की. 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह जीते. 2014 में यह सीट बीजेपी एक बार जीतने में कामयाब रही. बीजेपी के श्याम चरण गुप्ता ने सपा के रेवती रमण सिंह को शिकस्त दी थी. लेकिन इस बार के चुनाव में श्यामा चरण गुप्ता बीजेपी का दामन छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं.
ये भी पढ़ें- इलाहाबाद लोकसभा सीट: संगम के तट पर क्या फिर खिलेगा कमल?
2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद जिले की आबादी 59,54,390 है. लिंगानुपात 1,000 पुरुषों पर 901 है और साक्षरता दर 72.3% है. इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा और कोरांव आती हैं. बारा और कोरांव विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. मौजूदा समय में इन 5 सीटों में से 4 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और महज करछना सीट सपा के पास है.
2014 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी के श्यामा चरण गुप्ता ने सपा के रेवती रमण सिंह को 62 हजार 9 मतों से हराकर सांसद बने. श्यामा चरण को कुल 3,13,772 वोट मिले, जबकि रेवती को 2,51,763 वोट और बसपा की केशरी देवी पटेल को 1,62,073 वोट मिले.
चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़ लेटर