प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले नारा दिया था, ‘अच्छे दिन आने वाले हैं.’ उन्होंने दो सीटों पर जीतने के बाद वाराणसी को चुना और यहां की तस्वीर बदलने का वादा किया था. लेकिन तीन महीने बाद भी वाराणसी को अच्छे दिनों और तस्वीर बदलने का बेसब्री से इंतजार है. खासकर बिजली कटौती से प्रधानमंत्री का यह संसदीय क्षेत्र विशेष रूप से परेशान है.
यहां अब नरेंद्र मोदी का कार्यालय भी खुल गया है और बिजली कटौती यहां की सबसे बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई है. अच्छे दिनों की उम्मीद कर रही बनारस की जनता को आज पूरे दिन में सिर्फ 8 घंटे बिजली से ही संतोष करना पड़ा रहा है, लिहाजा जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.
वैसे तो बनारस में बिजली कटौती एक आम समस्या है, लेकिन जब से नरेंद्र मोदी का संसदीय कार्यालय खुला है तब से जनता पर बिजली कटौती की समस्या का पहाड़ टूट पड़ा है. यहां दिन में 8 घंटे ही बिजली आ रही है और कटौती का कोई शेड्यूल भी नहीं है. पिछले तीन दिनों में प्रधानमंत्री के कार्यालय में आने वाली शिकायतों में सबसे ज्यादा बिजली समस्या की शिकायतें हैं. बीजेपी काशी क्षेत्र के महामंत्री सुधीर मिश्र बताते हैं कि यहां कार्यालय में प्रतिदिन डेढ़ सौ शिकायतें आती हैं, जिसमें बिजली और सीवर की समस्या प्रमुखता पर हैं.
कोई हाथ के पंखे हिला रहा है तो कोई पेड़ की छांव में राहत ढूंढ रहा है. यही नहीं बनारस की पहचान बुनकर भी आज अंधेरे में लालटेन और मोमबत्ती के सहारे बुनकारी करने को मजबूर हैं और इस समस्या से निजात पाने के लिए मोदी से आस लगाए बैठे हैं.
विरोधी दल बिजली कटौती को मुद्दा बनाकर मोदी को घेरने से पीछे नहीं हट रहे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अजय राय ने बिजली कटौती को मुद्दा बनाया और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठकर प्रधानमंत्री से वाराणसी को चौबीस घंटे बिजली देने की मांग कर रहे हैं.
कोई बिजली कटौती पर सियासत कर रहा है तो कोई इस समस्या से निजात के लिए पीएम से गुहार लगा रहा है. अब देखना ये है कि जनता की इस समस्या का हल कैसे और कब निकलता है.