उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि होते हुए राशन कार्ड धारकों ने गेहूं व धान क्रय केंद्रों पर 3 लाख से ज्यादा गेहूं या धान बेचे हैं. जिसकी जानकारी आधार कार्ड के द्वारा हुई है. जबकि नियमानुसार तीन लाख शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 2 लाख से ज्यादा कि अगर आय है तो उसको राशन कार्ड नहीं बन सकता. ऐसे में 6 हजार कार्ड धारकों ने राशन लेते हुए सरकार को गेहूं और धान बेचा है. जिसकी जांच की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक खाद एवं रसद विभाग ने सॉफ्टवेयर से सभी राशन कार्ड पर दर्ज आधार नंबर से उन किसानों का मिलान कराया जिसमें सरकारी केंद्रों पर धान और गेहूं बेचा गया. जिसमें काफी गड़बड़ी पाई गई है. इसमें 66 हजार आधार नंबर ऐसे मिले हैं, जिसके राशन कार्ड बने हैं और उन्होंने 3 लाख से ज्यादा का अनाज भी भेजा है. हालांकि कहीं पर इससे ज्यादा रुपए का भी अनाज बेचा गया है.
मामले की जानकारी होने पर प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद वीना कुमारी ने जिलाधिकारियों द्वारा जांच की बात कही है. इसके साथ ही 15 दिनों में रिपोर्ट आने और आगे की कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया है.
और पढ़ें- किसान आंदोलन के 300 दिन पूरे, SKM का दावा- अब तक 605 किसानों ने गंवाई जान
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद वीना कुमारी मीणा के मुताबिक, राशन कार्ड धारक जो शहरी क्षेत्रों में रहते हैं उनकी आय तीन लाख और जो ग्राम क्षेत्र में रहते हैं उनकी आय अगर 2 लाख है तो उनका राशन कार्ड बनाया जाता है. लेकिन देखा गया है कि कुछ किसानों ने तीन लाख से ऊपर का या 5 लाख तक गेहूं या धान सरकार को ही भेजा है इसकी जानकारी, जब आधार कार्ड से जुड़े डाटा पर चढ़ाया गया, तब इस पूरे मामले का पता चला.
लखनऊ डीएम अभिषेक प्रकाश के मुताबिक, कुछ मामलों में जांच की गई है और उसके बाद इसमें से कुछ राशन कार्ड ऐसे पाए गए हैं जिन्होंने आय से अधिक होने के बावजूद भी अपना गेहूं और खरीफ की फसल बेची है. ऐसे सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.