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उद्घाटन से पहले लखनऊ मेट्रो पर सियासत तेज

अखि‍लेश ने नए उद्घाटन की हवा निकालने कोशि‍श की है. हालांकि अखिलेश यादव ने बतौर सीएम रहते सांकेतिक उद्घाटन किया था.

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यूपी के पूर्व सीएम अख‍िलेश यादव
यूपी के पूर्व सीएम अख‍िलेश यादव

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लखनऊ मेट्रो रेल का उद्घाटन 5 सितंबर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ करेंगे, लेकिन उससे ठीक पहले सियासत गर्म हो गई है. रविवार को अखिलेश यादव की तरफ से दो तस्वीरें जारी की गईं, जिसमें अखिलेश इसका उद्घाटन करते दिखाई दे रहे हैं. इसी तस्वीर के जरिए अखि‍लेश ने नए उद्घाटन की हवा निकालने कोशि‍श की है. हालांकि अखिलेश यादव ने बतौर सीएम रहते सांकेतिक उद्घाटन किया था.

अखिलेश यादव के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने फोटो पोस्ट करने के साथ ही लिखा है कि तैयार मेट्रो रेल को एनओसी देने में जानबूझकर देरी की गई ताकि मेट्रो का श्रेय लिया जा सके. एक तस्वीर में अखिलेश महिला मेट्रो ड्राइवर्स को मेट्रो रेल की चाबी दे रहे हैं.

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि बिना किसी काम के नाम कमाने की कला में भाजपा ने महारत हासिल कर ली है. पिछले पांच महीनों में भाजपा सरकार ने अपनी एक भी योजना का परिचय तक नही कराया, बल्कि समाजवादी सरकार ने जो योजनाएं लागू की थीं, उन्हें ही अपनी उपलब्धि बता रही है. इस संबंध मे ताजा उदाहरण यह है कि मेट्रो रेल का दोबारा उद्घाटन कर जनता की आंख में धूल झोंकने का एक और करतब करने की कोशिश की जा रही है. सच तो यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार बराबर मेट्रो परियोजना में अडंगे डालती रही थी. एनओसी देने में भी खूब देरी की गई क्योंकि यूपी में समाजवादी सरकार थी. लखनऊ की जनता को यह बात भूली नहीं है कि अभी गत 1 दिसंबर 2016 को ही समाजवादी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं मेट्रो रेल का ट्रायल रन कराया था. उन्होंने दो ड्राइवर लड़कियों को लाल रंग की मेट्रो रेल की चाबी देकर इस ट्रायल को हरी झंडी भी दिखाई थी.

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राजेंद्र चौधरी ने कहा, 'अखिलेश यादव ने राजधानी में मेट्रो रेल का उपहार देकर नागरिकों को आवागमन की एक बड़ी सुविधा प्रदान की है. उन्होंने ही स्मार्ट कार्ड और वाईफाई सुविधा की व्यवस्था की है. इसके स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू में लिखाने की व्यवस्था की है. अखिलेश यादव ने लखनऊ के अतिरिक्त आगरा, कानपुर, मेरठ, नोएडा तथा वाराणसी में मेट्रो रेल परियोजना की रिपोर्ट तैयार कराने का काम भी शुरू कर दिया था, जिसे भाजपा सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. अखिलेश यादव ने लखनऊ को जो सुविधा दी, अब भाजपा राज में दूसरे जनपद उससे वंचित ही रहेगें, क्योंकि भाजपा में न तो जनहित में साहसिक निर्णय लेने की क्षमता है और न ही वह दूरदृष्टि है जो असंभव को संभव बनाना जानती हो. यह अखिलेश जी का ही विजन है जो उन्होंने मेट्रो जैसी बड़ी योजना लागू की थी.'

 

 

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