समाजवादी पार्टी के एक ऐसे भी विधायक हैं, जो खुद को हाईकोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के ऊपर समझते हैं. मामला है लखनऊ का, जहां हाईकोर्ट के आदेश के बाद अवैध पटरी दुकानों को हटाने गए नगर निगम के दस्ते को माननीय विधायक जी ने रुकवा दिया.
एमएलए ने कहा कि पटरी दुकानदारों को हटाने से पहले किसी दूसरी जगह पर बसाया जाए. लेकिन शनिवार को जब नगर निगम का दस्ता दोबारा कोर्ट के आदेश के मुताबिक अवैध निर्माण तोड़ने गया, तो लोगों के मसीहा बने विधायक जी मौके पर पहुंचे ही नहीं.
समाजवादी पार्टी के लखनऊ मध्य क्षेत्र के मौजूदा विधायक हैं रविदास मेहरोत्रा. विधायक जी के रसूख के आगे न चलती है नगर निगम की, न चलती है पुलिस की. यहां तक कि ये न्यायालय के आदेश को भी ताक पर रखते हैं. मामला है लखनऊ की मशहूर मार्केट अमीनाबाद का. अमीनाबाद में ट्रैफिक जाम की समस्या और अवैध तौर पर सड़कों पर लगाई गई दुकानों को लेकर इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने जिला प्रशासन को पटरी दुकानदारों और अवैध निर्माण को 27 अक्टूबर तक हटाकर 28 तारीख को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए लखनऊ नगर निगम का दस्ता जब पुलिस की मौजूदगी में 22 तारीख को अमीनाबाद के बाजार पहुंचा, तो वहां पहले तो दस्ते को पटरी दुकानदारों का विरोध झेलना पड़ा. पुलिस ने स्थिति को संभाला और अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ. लेकिन इतने में ही सत्तापक्ष के विधायक रविदास मेहरोत्रा वहां पहुंच गए और उन्होने अभियान को स्थगित करने का एलान कर दिया. चूंकि विधायक सत्तापक्ष के थे, लिहाजा मौके पर पहुंचे नगर निगम के दस्ते को उल्टे पांव लौटना पड़ा. विधायक जी इस बात पर अड़ गए कि पटरी दुकानदारों को यहां से हटाने से पहले कहीं और इनकी व्यवस्था की जाए.
रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि लखनऊ शहर में डेढ़ लाख फुटपाथ दुकानदार हैं. अगर बिना किसी व्यवस्था के इनको उजाड़ने की कार्रवाई होगी, तो इनकी समस्या कैसे हल होगी? उन्होंने दलील दी कि ऐसे दुकानदारों के सामने समस्या रोजी-रोटी की है. जो फुटपाथ के दुकानदार हैं, वे मजबूरी में अपना पेट पालने के लिए यह काम करते हैं. ये गरीब, कमजोर व असहाय वर्ग के लोग हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ये मांग है कि जनता को दिक्कत न हो, इसलिए इनको उजा़ड़ने से पहले इनकी वैकल्पिक व्यवस्था हो.
इस मामले में अगर किसी की गर्दन फंसी थी, तो वो थी नगर निगम और जिला प्रशासन की. एक तरफ नगर निगम को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना था, दूसरी तरफ वो विधायक जी को नाराज नहीं कर सकते थे. लिहाजा नगर निगम ने एक बीच का रास्ता निकाला, जिसके तहत अमीनाबाद की बाजार में सड़क के किनारे एक पीली पट्टी खींच दी गयी. उस पीली पट्टी के अंदर ही पटरी दुकानदारों को दुकान लगाने का आदेश दिया गया. अवैध निर्माण को तोड़ने की तारीख मुकर्रर की गई 26 अक्टूबर. जब इस डेट पर नगर निगम की टीम अवैध निर्माण तोड़ने अमीनाबाद के बाजार पहुंची, तो लोगों को उम्मीद थी कि उनके हमदर्द विधायक रविदास महरोत्रा दुकानों को बचाने फिर पहुंचेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. विधायक जी दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आए और दस्ते ने लोगों के विरोध के बावजूद अवैध निर्माण को तोड़ दिया.
दरअसल विधायक जी की हेकड़ी का मामला उछलने लगा, तब उन्हें महसूस हुआ कि उनका दांव उन पर भारी भी पड़ सकता है. लिहाजा विधायक जी बैकफुट पर आ गए.