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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर कई सवाल खड़े हुए? मसलन बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए क्या इसे टाला नहीं जा सकता था. शिक्षक कर्मचारी संघ ने दावा किया कि कोरोना संक्रमण के दौरान कराए गए इस चुनाव की वजह से 1621 कर्मचारियों की मौत हुई है. हालांकि सरकार के आंकड़े एकदम अलग हैं. मंगलवार को बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दावा किया गया है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से सिर्फ 3 शिक्षकों की मौत हुई है.
बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि निर्वाचन अवधि, चुनावी काम में घर से निकलकर आदमी के ट्रेनिंग लेने और चुनाव कराके घर जाने के दौरान ही होती है. बेसिक शिक्षा परिषद का दावा है कि इस अवधि में सिर्फ तीन टीचर की मौत हुई है. उनका कहना है कि ड्यूटी के दौरान कोरोना से सिर्फ 3 शिक्षकों ने जान गंवाई है.
हालांकि शिक्षक कर्मचारी संघ का दावा है कि 1621 कर्मचारियों की मौतें हुई थी. तीसरे चरण तक ही करीब 706 शिक्षकों की कोरोना से मौत हुई थी. मतगणना तक पंचायत चुनाव ड्यूटी में 1600 से ज्यादा शिक्षक मरे, लेकिन सरकार ने सिर्फ 3 मौतें स्वीकार की हैं.
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उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की आठ मांगें
इससे पहले संघ ने 16 मई को मुख्यमंत्री को सूची भेजते हुए चुनाव ड्यूटी में गुजरे हुए सभी शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता, उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने सहित आठ मांगें की हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ ने सूची जारी कर दावा किया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है. इन सभी लोगों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी की थी.
इस सूची में जान गंवाने वाले शिक्षकों के नाम, उनके विद्यालय के नाम, पदनाम, ब्लॉक व जनपद का नाम, मृत्यु की तिथि और दिवंगत शिक्षक के परिजन का मोबाइल नंबर भी दिया गया है. इस सूची के अनुसार सबसे अधिक आजमगढ़ जिले में 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है.