कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते केंद्र और राज्य सरकारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. संभावना जताई जा रही है कि इस लहर में सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ सकता है. ऐसे में मेडिकल कॉलेजों से लेकर, जिला स्तरों के अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं. इन सबके बीच लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल ने पीएम केयर्स फंड के तहत भेजे गए वेंटिलेटर्स को मानकों के उपयुक्त नहीं बताया है. इतना ही नहीं पीजीआई की ओर से वेंटिलेटर्स को लेकर पूरी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है.
पीजीआई द्वारा सरकार को भेजी गई ये रिपोर्ट लीक हो गई है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बीईएल कंपनी से आए वेंटिलेटर्स की क्वालिटी ठीक नहीं है और 4 प्वाइंटो में वेंटिलेटर्स की क्वालिटी भी बताई है.
वेंटिलेटर्स में क्या हैं दिक्कतें?
सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, वेंटिलेटर्स 10 किलो से कम वजन तक के बच्चों के इलाज में कारगर नहीं है, क्योंकि ईज ऑफ वेंटिलेशन के मामले में टाइडल वेंटिलेशन वॉल्यूम सेट 50 ml से 1500 ml है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, जो वेंटिलेटर्स आए हैं और आईसीयू वार्ड में लगाए गए हैं, वे बहुत ही आवाज करते हैं, जिसके चलते मरीजों को असुविधा होती है. साथ ही साथ आईसीयू में जो स्टाफ रहता है, उन्हें भी डिस्टर्बेंस होता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ICU में भर्ती हुए मरीजों को आवाज की वजह से सोने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जैसे-जैसे समय बीतता जाता है वेंटिलेटर की आवाज बढ़ती जाती है. वेंटिलेटर पर लगे मॉनिटर स्क्रीन भी बहुत छोटे हैं, जो वेंटिलेटर्स के पैरामीटर के हिसाब से ठीक नहीं है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वेंटिलेटर्स में एनआईबी (NIV)मोड यानी कि नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन ऑप्शन भी नहीं है. यह वेंटिलेटर्स का अहम हिस्सा होता है, खास कर उन मरीजों के लिए, जिन्हें श्वांस लेने में दिक्कत होती है.
रिपोर्ट लीक होने से मचा हड़कंप
पीजीआई द्वारा सरकार को भेजी गई रिपोर्ट लीक होने से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. पूरे मामले की गोपनीय रिपोर्ट लीक होने के चलते अस्पताल प्रशासन के हाथ पैर फूल गए हैं. डायरेक्टर से लेकर इमरजेंसी डिपार्टमेंट तक मंथन हो रहा है कि आखिर रिपोर्ट कैसे लीक हुई.