यूपी एटीएस (UP ATS) द्वारा गिरफ्तार अलकायदा (Al-Qaeda) समर्थित अंसार गजवातुल से जुड़े संदिग्धों की पूछताछ में जहां बड़ी साजिश बेनकाब हुई है तो वहीं दूसरी तरफ अलकायदा जैसे संगठन का नया मोड्स ऑपरेंडी भी सामने आया है. करीब 10 साल पहले उत्तर प्रदेश में हुए कचहरी सीरियल ब्लास्ट के बाद हूजी, लश्कर, सिमी जैसे आतंकी संगठनों ने साइकिल और टिफिन बम का इस्तेमाल करना शुरू किया था, लेकिन अब वक्त बदला है तो अलकायदा जैसे संगठन ने बम विस्फोट करने के लिए ई-रिक्शा और प्रेशर कुकर बम को चुना है.
पकड़े गए पांचों आरोपियों के बीच संपर्क का मुख्य कारण ई-रिक्शा ही था. अलकायदा के पाकिस्तान में बैठे हैंडलर उमर हलमंडी और कश्मीर के हैंडलर के सीधे संपर्क में रहने वाला मुख्य आरोपी मिनहाज जहां लखनऊ के हसनगंज इलाके में ई-रिक्शा की बैटरी की दुकान का मालिक था, तो वहीं दूसरा आरोपी मसीरुद्दीन ई-रिक्शा चलाता था. मिनहाज को पिस्टल देने वाला शकील भी ई-रिक्शा चलाता था. मिनहाज के लिए शकील को पिस्टल मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाने वाला मोहम्मद मुस्तकीम और मुईद भी मिनहाज के ई-रिक्शा की दुकान पर ही आने-जाने वाले थे.
एटीएस सूत्रों की मानें तो अब तक की हुई पांचों आरोपियों से पूछताछ में मुख्य आरोपी मिनहाज सबसे खतरनाक और घातक विचारधारा वाला है. मिनहाज पाकिस्तान और कश्मीर के हैंडलर की पूरी मंशा को समझ कर उनकी साजिश को अंजाम दे रहा था. मिनहाज ने ही मसीरुद्दीन को भी विस्फोट की साजिश में कश्मीर के हैंडलर से बात करवा कर शामिल किया था. इसके अलावा, पकड़ा गया मुस्तकीम धार्मिक कट्टरपंथ के चलते इस साजिश में शामिल हुआ था.
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यूपी एटीएस की पूछताछ में हुआ यह खुलासा
बता दें यूपी एटीएस की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मिनहाज ने मसीरुद्दीन को लखनऊ में धमाके के लिए अवैध ई-रिक्शा चालकों और उनके मालिकों से संपर्क बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी. जिस कड़ी में मसीरुद्दीन डेढ़ दर्जन ई रिक्शा चालकों के संपर्क में भी पहुंच गया था. मिनहाज ने मसीरुद्दीन को साफ निर्देश दिया था कि वही ई-रिक्शा शामिल हो जिनका रजिस्ट्रेशन न हो ताकि भीड़भाड़ वाले इलाके में धमाके से पहले या बाद में पुलिस को ई-रिक्शा मिले भी तो उसके मालिक के बारे में कुछ पता न चल सके.
अलकायदा के मॉड्यूल के ई-रिक्शा कनेक्शन सामने आने के बाद लखनऊ की सड़कों पर चलने वाले ई रिक्शा भी अब पुलिस के लिए चुनौती बन गए हैं. यह जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा वक्त में लखनऊ की सड़कों पर एक लाख 30 हजार के लगभग रजिस्टर्ड रिक्शा दौड़ रहे हैं. ऐसे में ताजा घटनाक्रम को देखते हुए लखनऊ के एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक एसके सिंह साफ कहा अवैध ई-रिक्शा के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है. पकड़े गए ई-रिक्शा सीज किए जाते हैं, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए शहर के भीड़-भाड़ वाले स्थानों और बाजारों पर अब ई-रिक्शा के खिलाफ विशेष तौर पर चेकिंग अभियान और रजिस्ट्रेशन वेरीफिकेशन करवाया जाएगा.