लंपी वायरस यूपी में तेजी से पांव पसार रहा है. सूबे के 25 जिलों में संक्रमण फैल चुका है. 2600 गांवों में 25 हजार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं. इसके साथ ही अब तक 237 पशुओं ने जान गंवाई है. यूपी के वो जिले जो वायरस से प्रभावित हैं, उनमें सबसे ज्यादा मामले अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में सामने आए हैं. वहीं, मथुरा, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मेरठ, शामली और बिजनौर शामिल हैं. यहां वायरस तेजी से फैल रहा है.
यूपी सरकार के अनुसार, पश्चिमी यूपी में तेजी से फैल रहे वायरस को नियंत्रित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है. जिसमें पीलीभीत से इटावा तक करीब तीन सौ किलोमीटर लंबी इम्युनिटी बेल्ट बनाई गई है. मलेशिया की तर्ज पर बनने वाली बेल्ट पांच जिलों के 23 ब्लॉक से होकर गुजरेगी. वायरल से लड़ने के लिए पशुपालन विभाग ने टीकाकरण के जरिए इम्यून बेल्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पशुओं का सौ फीसदी टीकाकरण किया जाएगा.
आत तक से बातचीत में राज्य पशु रोग निदेशक डॉ. पीके सिंह ने कहा कि सूबे की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है. पशुओं की निगरानी के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है. अब तक 13 लाख 56 हजार पशुओं का टीकाकरण हो चुका है. किसानों और पशुपालकों को इस बीमारी से पशुओं को बचाने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है. पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि वायरस को लेकर प्रदेश में सतर्कता बरती जा रही है. सितंबर महीने में वायरस का असर अधिक हो सकता है. विभाग के पास टीकों की कोई कमी नहीं है.
पशु पालकों की जुबानी
उधर, अलीगढ़ के पशुपालक टप्पल निवासी विजय राठी ने बताया कि उनके पास 10 गायें हैं. इसमें से 6 वायरस से प्रभावित हैं. इस बीमारी ने उनकी डेयरी को काफी नुकसान हुआ है. दूध का उत्पादन 40 फीसदी तक कम हो गया है. कुछ लोग वायरस के डर की वजह से दूध नहीं ले रहे हैं. मथुरा के पशुपालक हेरा लाल सिंह और धनीराम यादव का कहना है कि जब वह अपने पशुओं को पशु चिकित्सालय ले गए तो पता चला कि जानवर लंपी वायरस से संक्रमित हैं. जानवरों को आइसोलेट कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया है. फिलहाल जानवर पूरी तरह से ठीक हैं.
कैसे फैलता है संक्रमण
यह वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है. वायरस से संक्रमित जानवरों को तेज बुखार आता है और भूख कम लगती है. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों सहित पूरे शरीर पर गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं.