scorecardresearch
 

मदरसा सर्वे: बच्चे नहीं सुना पाए ट्विंकल-ट्विंकल लिटल स्टार..

40 से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूची बनाकर देवरिया में जांच-पड़ताल की गई. जांच टीम को 12 बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट शासन को भेजनी है. जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने बच्चों से अंग्रेजी और हिंदी की किताबें पढ़वाई, गणित के कुछ सवाल और पहाड़े पूछे तो बच्चे कुछ भी नहीं बता पाए.

Advertisement
X
र-मान्यता प्राप्त मदरसों की पड़ताल के लिए सर्वे टीम पहुंची तो मचा हड़कंप
र-मान्यता प्राप्त मदरसों की पड़ताल के लिए सर्वे टीम पहुंची तो मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश में आजकल मदरसों के सर्वे का काम तेजी से चल रहा है. इसी कड़ी में देवरिया में मदरसों की भी जांच-पड़ताल की गई. यहां 40 से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूची बनी है. सबसे ज्यादा मदरसे देसही देवरिया विकासखंड में मिले. यहां पर जब जांच करने वाली टीम पहुंची तो मदरसे में हड़कंप मच गया. 

Advertisement

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी देवरिया नीरज अग्रवाल के मुताबिक शासन को 12 बिंदुओं की रिपोर्ट भेज दी जाएगी. सर्वे के दौरान मदरसे का नाम, उसे संचालित करने वाली सोसाइटी का नाम, पढ़ने वाले बच्चों की संख्या, कौन सा पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं. फंडिंग कहां से हो रही जैसी जानकारी जुटाई जा रही है. 

सर्वे के दौरान जब जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने बच्चों से अंग्रेजी और हिंदी की किताबें पढ़वाई, गणित के कुछ सवाल और पहाड़े पूछे. बच्चे कुछ भी नहीं बता पाए. कुछ बच्चे तो हिंदी के शब्दों का उच्चारण तक ठीक से नहीं कर सके. सदर ब्लॉक के मरकज अल हुदा मदरसे में कक्षा छह में पढ़ने वाला छात्र ना तो हिंदी की कोई कविता सुना पाया और ना ही इंग्लिश में ट्विंकल- ट्विंकल लिटल स्टार. इसके अलावा बच्चों से पहाड़े सुनाने को कहा तो वो भी नहीं सुना सके. इसी तरह गौरीबाजार के जमियाते उलूम मदरसे के क्लास तीन, चार में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पा रहे थे. यह मदरसा पूर्व चेयरमैन गौरीबाजार के अब्दुल हकीम के परिवार का है. इस पर मदरसा संचालकों ने कहा कि उनकी फंडिंग का आधार चंदा है.

Advertisement

मरकज अलहुदा के संचालक मोहम्मद शाहिद का कहा है कि इस मदरसे को चलते हुए दो माह हुए हैं. यहां कुल 39 बच्चे पढ़ते हैं. जिसमें 10 लोकल हैं और अन्य दूसरे राज्यों से आते हैं. यूपी और अन्य राज्य में जो जकात निकलता है उसी का सालाना 9 से 10 लाख रुपये का चंदा आता है. यहां सिर्फ 6 टीचर हैं. इसके अलावा जामिया तुल उलूम नाम के मदरसे के टीचर सादिक ने बताया कि यहां 16 बच्चे पढ़ते हैं. यहां खाने पीने का पूरा इंतेजाम है. बिहार और यूपी से बच्चे पढ़ने आता है. बच्चे डर गए इसलिए कुछ नहीं बता सके. यहां हिंदी, अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई की जाती है. आवाज चंदे के तौर पर जो पैसा देती है उसी से हम अपना मदरसा चलाते हैं. 

देसही देवरिया में सर्वे के दौरान 2 गैर मान्यता वाले मदरसे मिले थे. जांच में पता चला बरवामी छापर के मदरसे में 130 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें 100 गांव के और 13 बिहार और 17 बच्चे बंगाल के हैं. कौला छपरा के मदरसे में 150 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, 100 हॉस्टल में रहते हैं और 50 आसपास के गांव के हैं.

गौरी बाजार के मदरसे में जांच की जमीयतुल मदरसे में 16 बच्चे हैं. जिसमें 6 बिहार के अररिया जिले के रहने वाले हैं, बाकि 10 यहीं के अन्य जनपदों में रहते हैं. मरकज मदरसा में 39 बच्चे अध्ययन करते हैं. फंडिंग के बारे में प्रबंधकों ने बताया कि मदरसों का पूरा संचालन चंदे और गांवों के लोगों से राशन लेकर करते हैं.

Advertisement

साल में तकरीबन लाखों रुपयों का चंदा मिलता है और इसी से यहां का पूरा इंतजाम किया जाता है. मदरसों का सर्वे करने वाली टीम ने देखा कि कई मदरसों में का नाम केवल उर्दू में लिखा है और हिंदी में नहीं.

Advertisement
Advertisement