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'राम-सीता को गलत कहने पर एक्शन क्यों नहीं?', कालीचरण की गिरफ्तारी पर बोले जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर

यतीन्द्रानन्द स्वामी ने आजतक को बताया कि गांधीजी का आदर है, किंतु जो स्वतंत्रता की लड़ाई है उसमें किसी एक पुरुष को हम श्रेय नहीं दे सकते हैं. उस लड़ाई में कहीं ना कहीं सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर, गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय जैसे कई लोग शामिल हैं.

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आजतक से बात करते जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतीन्द्रानन्द गिरि.
आजतक से बात करते जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतीन्द्रानन्द गिरि.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यतीन्द्रानंद गिरि का दावा- कालीचरण किसी संत परंपरा से संन्यासी नहीं
  • कहा- राम-सीता को अपशब्द कहे जाते हैं, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती

धर्म संसद में महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण को लेकर जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतीन्द्रानन्द गिरि ने अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा है कि गांधीजी को जो अपशब्द कहे गए हैं, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह भारतीय संस्कृति नहीं है. उन्होंने कहा कि गांधीजी एक सम्मान के योग्य पुरुष हैं लेकिन इस देश के अंदर भगवान श्रीराम को कई बार गालियां दी गई और मां भगवती सीता को वभ्याचारिणी कहा गया, सीरियलों और पिक्चरों में देवी-देवताओं की हंसी उड़ाई जाती है, देवी देवताओं के नग्न चित्र बनाए जाते हैं, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? 

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उन्होंने कहा कि उस वक्त कोई कुछ नहीं बोलता है और ना ही कोई चैनल मुद्दे को उठाता है. उस समय यह सब सेक्युलरवादी कहां जाकर छिप जाते हैं? जहां तक महात्मा गांधी का प्रश्न है, हमारे देश में जो द्वारिका पीठा के जो शंकराचार्य हैं स्वरूपानंद सरस्वती जी. उन्होंने बहुत अच्छी बात कही है कि आदर और सम्मान अपनी जगह है लेकिन राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं हो सकता. यदि कोई है तो वह राष्ट्र से बड़ा परमात्मा है. राष्ट्र का कोई पिता नहीं हो सकता, राष्ट्र के पुत्र हो सकते हैं. 

यतीन्द्रानन्द स्वामी ने आजतक को बताया कि गांधीजी का आदर है, किंतु जो स्वतंत्रता की लड़ाई है उसमें किसी एक पुरुष को हम श्रेय नहीं दे सकते हैं. उस लड़ाई में कहीं ना कहीं सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर, गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय जैसे कई लोग शामिल हैं. गांधीजी जब दक्षिण अफ्रीका से वापस आए तो स्वतंत्रता के लिए उनसे पहले ही अंडमान में कई लोग जेलों में यातनाएं सह रहे थे. सबका सामुहिक योगदान है. हम किसी एक व्यक्ति को नहीं कह सकते कि सिर्फ इन्हीं का स्वतंत्रता में योगदान है.

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वसीम रिज़वी ने धर्म परिवर्तन नहीं घर वापसी की है - यतीन्द्रानन्द

यतीन्द्रानन्द ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रहे वसीम रिज़वी द्वारा धर्म परिवर्तन मामले पर कहा कि वसीम रिजवी जो कि मुस्लिम के शिया समुदाय से आते हैं और शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन भी रह चुके हैं, मैं समझता हूं कि उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया है. उन्होंने घर वापसी की है. मैं इसे धर्म परिवर्तन नहीं मानता. धर्म परिवर्तन तो किसी समय यहां पर औरंगजेब और मुगलों ने करवाया था. उस वक्त किसी ना किसी दबाव में अत्याचार के चलते आज के मुसलमानों ने धर्म परिवर्तन किया था. वसीम रिजवी ने जो घर वापसी की हमने उसका स्वागत किया और त्यागी संप्रदाय ने स्वीकार किया है.

महामंडलेश्वर ने बताया कि देश के अन्य मुसलमान भी अगर अपनी भूल सुधारना चाहते हैं तो रास्ता खुला हुआ है और वह अपनी भूल सुधार सकते हैं. भारत में जो संप्रदाय का तनाव चल रहा है, यह तभी समाप्त हो पाएगा जब सभी लोग घर वापसी कर लेंगे. उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव कौन जीतेगा, यह जनता तय करेगी लेकिन आज उत्तर प्रदेश की छवि पूरे भारत देश में बदली है क्योंकि उत्तर प्रदेश के लोगों को कोई अच्छी दृष्टि से नहीं देखता था. उन्हें लोग गुंडा-बावली समझते थे लेकिन आज ऐसा नहीं है. आज दूसरे प्रांत उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और उसके मॉडल की चर्चा करते हैं.

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