अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के कथित आत्महत्या मामले में मिले सुसाइड नोट से कई अहम खुलासे हुए हैं. सुसाइड नोट में महंत बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने की बात कही गई है. साथ ही सभी अखाड़े के पदाधिकारियों से उनको सहयोग करने के लिए कहा गया है.
वहीं, आजतक से खास बातचीत में बलवीर गिरि ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के साथ जिन लोगों ने ये सब किया है उनको हमलोग अंदर भिजवा के ही रहेंगे. हमें कानून पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा कि गुरु विष पी जाता है, शिष्य को कुछ नहीं बताता है. मैं गुरु जी के साथ रहा हूं, मैं जानता हूं कि ये उन्हीं की Handwriting है. ये Suicide Letter उन्होंने ही लिखा है.
उन्होंने कहा कि सरकार जांच करे. लिखने न लिखने का मतलब नहीं है. अक्षर जिस तरह लिखे हैं वो एक जैसे हैं. सनातन पर सवाल हमेशा से उठता है. उन्होंने कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
बता दें कि बलवीर गिरि इस समय निरंजनी अखाड़े के उप महंत हैं और हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था का संचालन करते हैं. महंत नरेंद्र गिरि जब अपने शिष्य आनंद गिरि से नाराज हो गए थे तो उन्होंने जो 10 वर्ष पूर्व वसीयत आनंद गिरि के नाम की थी, उसको उन्होंने रद्द कर दिया था.
महंत राम रतन गिरि ने महत्वपूर्ण बातें कहीं
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या मामले में आरोपी आनंद गिरि को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं. इस कड़ी में निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत राम रतन गिरि ने भी महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं.
उन्होंने बताया कि आनंद गिरि को स्वामी की उपाधि प्राप्त है. वर्तमान में आनंद गिरि ने हरिद्वार के श्यामपुर कांगड़ी में गाजीवाला में अपना आश्रम (गंगा विक्रम सेना आश्रम) का निर्माण शुरू किया हुआ है और वहीं पर अपने शिष्यों और साथियों के साथ रह रहे थे. आनंद गिरी युवा भारत साधु समाज के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. वो खुद को एक घुमंतू योगी बताते रहे हैं.
राम रतन गिरि ने बताया कि आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के खंडेलवाल परिवार से हैं. 15 वर्ष की उम्र में साल 2000 में उन्होंने संन्यास लिया और वो हरिद्वार महंत नरेंद्र गिरि के पास आ गए. महंत नरेंद्र गिरि ने उनकी आगे की पढ़ाई लिखाई कराई. इसके बाद वो प्रयागराज आ गए थे. उनका दो विवादों से नाता रहा है.