अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार को उनके आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या कहा जा रहा है और पुलिस को शव के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. नरेंद्र गिरि प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे और संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे. नरेंद्र गिरी एक बड़े महंत तो थे ही, साथ ही यूपी की सियासत में भी सपा से लेकर बीजेपी तक उनका सियासी कनेक्शन रहा है.
सनातन धर्म से लगाव और राजनीतिक गलियारों से जुड़ाव के चलते नरेंद्र गिरि द्वारा समय-समय पर दिए गए बयान सुर्खियां बनते रहे हैं. महंत नरेंद्र गिरी प्रयागराज जिले के अंतर्गत पड़ने वाली फूलपुर तहसील के रहने वाले थे. नरेंद्र गिरी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित देश के कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है.
सपा से लेकर बीजेपी तक से रहा जुड़ाव
प्रयागाराज के बाघंबरी मठ के महंत के होने के नाते स्थानीय लोगों के अलावा देश और प्रदेश के राजनीतिक दलों के नेताओं का भी उनके यहां आना-जाना था. उत्तर प्रदेश में चाहे सपा की सरकार रही हो या फिर बीजेपी सरकार, महंत नरेंद्र गिरी का राजनीतिक रसूख हमेशा कायम रहा. मुलायम सिंह यादव और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लगाव की बात हो या भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महंत नरेंद्र गिरि का सभी से रिश्ता रहा.
प्रयागराज आगमन पर तमाम बडे़ नेता और मशहूर लोग संगम स्थित हनुमान जी के दर्शन करने और महंत नरेंद्र गिरी से मिलने जरूर आते थे. रविवार को भी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंदिर जाकर उनसे आशीर्वाद लिया था. ऐसे ही यूपी में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव भी जब भी प्रयागराज आया करते थे तो हनुमान मंदिर में नरेंद्र गिरी ही दर्शन कराया करते थे.
पीएम मोदी को गंगा पूजन कराया था
प्रयागराज में साल 2019 में कुम्भ आयोजन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गंगा पूजन कराने का काम महंत नरेंद्र गिरी ने किया था. इस दौरान पीएम मोदी के साथ नरेंद्र गिरी की नजदीकियां देशभर के लोगों ने देखी थी. पीएम मोदी ने ट्वीट कर शोक जताते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का देहावसान अत्यंत दुखद है. आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति समर्पित रहते हुए उन्होंने संत समाज की अनेक धाराओं को एक साथ जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई. प्रभु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें.
मुलायम सिंह यादव से नजदीकी रिश्ते
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को हनुमान मंदिर में दर्शन कराने से लेकर बाघंबरी मठ में भोजन कराने के दौरान तक की तस्वीरें अब भी बड़े हनुमान मंदिर और मठ में लगी हैं. साल 2004 में बाघंबरी मठ गद्दी के महंत बनने के बाद नरेंद्र गिरि का सबसे पहला विवाद तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह के साथ हुआ था. यह विवाद जमीन से ही जुड़ा था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था. मुलायम सिंह ने महंत नरेंद्र गिरी के लिए आरएन सिंह को सस्पेंड कर दिया था.
अखिलेश और शिवपाल के साथ जोड़े रखा नाता
महंत नरेंद्र गिरि के मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ उनके पुत्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ भी काफी नजदीकियां रही हैं. 2012 से लेकर 2017 तक यूपी में अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री रहे, तब अक्सर महंत नरेंद्र की उनसे मुलाकात होती थी. अखिलेश हमेशा उनके द्वारा रखी गई बातों को गंभीरता से लेते थे और अमल में लाया करते थे. साल 2012 में सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह के साथ नरेंद्र गिरी का विवाद हुआ था, जिसे अखिलेश यादव ने शांत कराया था.
अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के साथ भी महंत नरेंद्र गिरी के करीबी रिश्ते रहे हैं. सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाने के बाद भी शिवपाल यादव जब भी प्रयागराज जाते तो नरेंद्र गिरी से जरूर मुलाकात करते. ऐसे में कई लोगों के बीच उनके लिए सपा के संत की भी चर्चा रही, लेकिन वर्ष 2017 में जैसे ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई महंत नरेंद्र गिरि इस सरकार के भी करीबी बन गए.
सीएम योगी के साथ महंत गिरी के रिश्ते
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संत परंपरा से आने के कारण उनके पूर्व से ही महंत नरेंद्र गिरि से अच्छे रिश्ते रहे. सीएम के प्रयागराज आगमन पर महंत गिरी उन्हें भोजन कराने, हनुमान मंदिर में पूजन कराते थे. साथ ही लखनऊ में सीएम कार्यालय जाकर मुलाकात का सिलसिला भी बना रहा. इसीलिए उनके निधन की खबर आते ही सीएम योगी एक्शन में आए गए और उन्होंने शोक प्रकट करते हुए कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का ब्रह्मलीन होना आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है. सीएम योगी अंतिम दर्शन के लिए खुद प्रयागराज भी गए.
2015 में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने
प्रयागराज में बंधवा वाले लेटे हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ के पूर्व संचालक के स्वर्गवास के बाद बाघंबरी मठ की जिम्मेदारी नरेंद्र गिरी को मिली थी. दो दशक पहले यह जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने असम द्वारा संचालित संस्कृति स्कूलों में वैदिक शिक्षा, गोशालाओं का निर्माण शुरू कराया. नरेंद्र गिरि का धर्म के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों से भी नाता रहा है.
महंत नरेंद्र गिरि साधु-संतों की समस्याओं को लेकर सदैव से मुखर रहे. सनातन धर्म की रक्षा के लिए बने सभी अखाड़ों ने मार्च 2015 में इन्हें अपना अगुआ मानते हुए सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना था. नरेंद्र गिरी ने देश के कोने-कोने में रहने वाले साधु-संतों को एकत्र कर सनातन संस्कृति का प्रचार शुरू किया. उन्होंने प्रयागराज में हर वर्ष आयोजित होने वाले माघ मेले, अर्धकुंभ और कुंभ मेले में देश-विदेश से आए हुए साधु-संतों का कुशल नेतृत्व किया.
ज्यातिष्पीठ को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती में हमेशा विवाद रहा. संतों का एक धड़ा जहां स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का हिमायती रहा. ऐसे में महंत नरेंद्र गिरि हमेशा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के हिमायती बने रहे.