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महाराजा सुहेलदेव: जिन्होंने बहराइच की जंग में गजनवी के भांजे सालार मसूद को चटाई थी धूल

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग शहीद स्मारकों पर महाराजा सुहेलदेव को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और उन्हें याद किया जा रहा है. इसको राजनीतिक रूप से भी काफी अहम माना जा रहा है,

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महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति (फाइल)
महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी में महाराज सुहेलदेव के स्मारक का शिलान्यास
  • पीएम मोदी वर्चुअल तरीके से होंगे शामिल

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है. इसी हलचल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को यूपी के बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के स्मारक का शिलान्यास करने जा रहे हैं. पीएम मोदी इस कार्यक्रम में वर्चुअल तौर पर शामिल होंगे, लेकिन यूपी सरकार बड़े स्तर पर इस दिन को मना रही है.

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग शहीद स्मारकों पर महाराजा सुहेलदेव को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और उन्हें याद किया जा रहा है. इसको राजनीतिक रूप से भी काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि महाराजा सुहेलदेव को राजभर समुदाय से जोड़ा जाता है जिनका उत्तर प्रदेश की करीब 40 विधानसभाओं पर सीधा प्रभाव है. ऐसे में एक बार आप जान लीजिए कि आखिर महाराजा सुहेलदेव थे कौन?

महमूद गजनवी के भतीजे को धूल चटाने वाले योद्धा
इतिहास के पन्नों को खंगालने पर पता चलता है कि महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे. जिन्हें एक महान योद्धा के तौर पर देखा जाता है. महमूद गजनवी ने जब हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया और उसकी अलग-अलग सेनाएं हिन्दुस्तान में घुसने लगीं तब श्रावस्ती की कमान महाराजा सुहेलदेव के हाथ में ही थी.

महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी ने सिंधु नदी के पार तत्कालीन भारत के कई हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया था. लेकिन जब वो बहराइच की तरफ आया, तब उसका सामना महाराजा सुहेलदेव से हुआ. बहराइच में हुई इस जंग में महाराजा सुहेलदेव ने गजनवी के भतीजे को धूल चटा दी. 

महाराजा सुहेलदेव की अगुवाई में उनकी सेना ने सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी का खात्मा किया और पूरी टोली को ही मिट्टी में मिला दिया. करीब 17वीं सदी में जब फारसी भाषा में मिरात-ए-मसूदी लिखी गई, तब इस वाकये का विस्तार से जिक्र किया गया है. 

अलग-अलग समुदाय जताते रहे हैं दावा
मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश में कई जातियां महाराजा सुहेलदेव पर अपना दावा ठोकती आई हैं. मुख्य रूप से उन्हें महाराजा सुहेलदेव राजभर कहा जाता है, ऐसे में राजभर समुदाय अपना हक उनपर जताता आया है. राजभर समुदाय के अलावा पासी समुदाय भी उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव से संबंध रखने का दावा रखता है. 

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राजभर समुदाय के नेता ओमप्रकाश राजभर पूर्व में एनडीए का हिस्सा रहे हैं, यूपी सरकार में मंत्री भी रहे हैं. लेकिन अब वो बीजेपी से अपना रास्ता अलग कर चुके हैं. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के इस कदम के कई मायने निकाले जा रहे हैं. 

 



 

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