यूपी की जनता का जनादेश साफ और सीधा लेकिन सीएम चुने जाने की राह उतनी ही उलझी हुई और टेढ़ी मेढी है. 11 मार्च को नतीजों के ऐलान के बाद बीजेपी की झोली में 325 सीटें आईं तो लगा तो यूपी में सरकार बनाने की राह अब कोई रोड़ा नहीं. लेकिन यही जीत यूपी सरकार के लिए एक चेहरा ढूंढने में देरी की सबसे बड़ी वजह बन गई. तमाम नामों के बीच यूपी की कमान संभालने के लिए जरूरी योग्यताओं की लिस्ट में मनोज सिन्हा का नाम सबसे आगे चला गया है.
वो फैक्टर जो मनोज सिन्हा की प्रोफाइल को यूपी सीएम की दावेदारी में उन्हे आगे निकाल ले गए...
-मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बगल की संसदीय सीट गाजीपुर से सांसद है और पहले रेलवे राज्य मंत्री और अब स्वतंत्र प्रभार के तौर पर संचार मंत्रालय को संभाल रहे हैं.
-मनोज सिन्हा परफॉर्मेंस के हिसाब से पीएम मोदी के प्रिय मंत्री रहे हैं, जो चुपचाप अपना काम करने के लिए जाने जाते हैं.
-सिन्हा को मोदी और अमित शाह के प्लॉन में सबसे फिट माना जा रहा है और विकास की सड़क पर भी मनोज सिन्हा तेज चल सकते है. जो मिशन 2019 के लिए जरूरी है.
-मनोज सिन्हा तीन बार गाजीपुर से सांसद चुने गए हैं. यानी पूर्वांचल के अनुभवी नेता है.
-वो भूमिहार जाति से हैं, जिसका यूपी की राजनीति में ज्यादा प्रभाव नहीं है. यानी बाकी जातियों के बीच उनके चुनाव को लेकर आपसी द्वंद कम होगा.
-मनोज सिन्हा विवादों से भी दूर रहे हैं, और उनका कभी कोई विवादित बयान नहीं आया है.
यूपी के गाजीपुर का एक गांव मंत्री के बाद मुख्यमंत्री का गांव बनने वाला है. मोहनपुरा के लोग दुआएं कर रहे हैं कि मनोज सिन्हा की ताजपोशी हो जाए. वाराणसी के बीएचयू, जहां से मनोज सिन्हा ने छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. पुराने दोस्तों को इस बड़े फैसले का इंतजार है.
-गांव के ही प्राथमिक स्कूल से पढ़ाई की शुरुआत हुई.
-गणित और विज्ञान के विषयों में उनकी खास दिलचस्पी थी. आगे की पढ़ाई जनपद के राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में हुई.
-मनोज सिन्हा के स्कूली दिनों के साथी उमाशंकर गुप्ता बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते है कि सिटी इंटर कॉलेज के दिनों में वो वीएचपी के संपर्क में आए.
इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी पास होने के बाद मनोज सिन्हा ने बीएचयू से बीटेक की पढ़ाई की. यहां राजनीति में उनका दखल कुछ और बढ़ा, और 1982 में वो बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए. पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की बजाय राजनीति में आ गए. पढ़ाई के दौरान मनोज सिन्हा का परिवार वाराणसी आ गया था, इसलिए वाराणसी से भी उनका गहरा लगाव है. मनोज सिन्हा को राजनीति में अपने पिता से विरासत में मिली उनके पिता स्कूल में प्रिंसिपल थे लेकिन समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय रहते थे.
-मनोज सिन्हा ने गाजीपुर में रेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए काफी काम किया है. अब उनके सीएम की उम्मीदवारी के साथ पूर्वांचल के लोगों की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं.