इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने मथुरा हिंसा की सीबीआई जांच कराने के आग्रह वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ल और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्ड पीठ ने आजमगढ़ जिला बीजेपी इकाई के प्रवक्ता आई. पी. सिंह की तरफ से दाखिल वह जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने अदालत से मथुरा हिंसा मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
किसी विशेष जांच दल को केस सौंपने की मांग
याची के अधिवक्ता अशोक पांडेय के अनुसार, सिंह ने अदालत से मथुरा हिंसा मामले की सीबीआई या फिर किसी विशेष जांच दल से जांच कराए जाने के साथ ही उस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश देने का आग्रह किया था. यह आग्रह मामले की गंभीरता को देखते हुए किया गया था.
यूपी सरकार की तरफ से जांच आयोग का गठन
प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसकी स्थिरता पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया. गोदियाल ने अदालत में यह भी तर्क दिया कि पुलिस ने अदालत के आदेश के अनुपालन में मथुरा के जवाहरबाग को कब्जेदारों से खाली कराने की कार्रवाई पूरी की और राज्य सरकार की तरफ से मामले की जांच के लिए एक न्यायिक जांच आयोग का भी गठन किया जा चुका है.
घटनाक्रम में गई थी 29 लोगों की जान
सुनवाई के समय केंद्र सरकार के अधिवक्ता भी मौजूद थे और अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी. गौरतलब है कि दो जून को अदालत के आदेश पर मथुरा के जवाहरबाग को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए हुई कार्रवाई में दो पुलिस अधिकारियों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी.