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आजम खान के लिए गुड न्यूज, जौहर यूनिवर्सिटी जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश पर लगाई रोक

मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है. बता दें कि हाईकोर्ट ने मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी के टेकओवर का आदेश दिया था.

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आजम खान (फाइल फोटो)
आजम खान (फाइल फोटो)

मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी (Maulana Jauhar University) को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है. बता दें कि हाईकोर्ट ने मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी के टेकओवर का आदेश यूपी सरकार को दिया था, जिसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी लेकिन फिलहाल उसपर स्टे रहेगा.

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मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी (Maulana Jauhar University) की यह जमीन उत्तर प्रदेश के रामपुर में है. यह खबर सपा विधायक आजम खान और उनके परिवार के लिए गुड न्यूज मानी जा रही है. क्योंकि आजम और उनके परिवार के सदस्य इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं.

बता दें कि आजम खान ने ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को सही ठहराया था. यूपी सरकार ने आदेश दिया था कि जौहर विश्वविद्यालय की साढ़े 12 एकड़ जमीन को छोड़कर बाकी जमीन का अधिग्रहण अवैध है. अब यूपी सरकार इस जमीन पर कब्जा कर रही थी.

हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त बाकी जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया था. यूनिवर्सिटी बनाने के लिए लगभग 471 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी. केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में थी.

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सुप्रीम कोर्ट से पहले हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा था कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई. अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया. ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन विश्वविद्यालय के लिए ले ली गई. किसानों से जबरन बैनामा करा लिया गया. इस मामले में 26 किसानों ने पूर्व मंत्री एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.

अगस्त में होगी अब सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई में सॉलिस्टर जनरल ने यूनिवर्सिटी की तरफ से दायर याचिका का विरोध किया था. उनका कहना था कि शिक्षा के लिए जो जमीन दी गई थी, उसका दूसरी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया था.

अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है. मामले की अगली सुनवाई अगस्त में हो सकती है. सॉलिस्टर जनरल ने जल्द सुनवाई की गुजारिश भी की. कहा गया कि सरकार के एक्शन शुरू कर दिया है.

 

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