scorecardresearch
 

यूपीः हार से BSP में हाहाकार, मायावती ने शुरू किया दिग्गजों के लिए 'घर वापसी' अभियान

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से हताश बसपा प्रमुख मायावती अब दोबारा से पार्टी को खड़ी करने में जुट गई है. ऐसे में मायावती की नजर उन नेताओं पर है, जो पार्टी छोड़कर किसी न किसी कारण से चले गए हैं. ऐसे नेताओं की घर वापसी कराकर दोबारा से यूपी की सियासत में बसपा को लाने की कवायद है.

Advertisement
X
मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी
मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बसपा अपने पुराने नेताओं की घर वापसी में जुटी
  • जमाली के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी को लाने का प्लान
  • कांशीराम के दौर के तमाम नेता बसपा छोड़़ चुके हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा की हार ने मायावती को झकझोर कर रख दिया है. बसपा ने अपने सियासी इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन किया और यह उसकी पांचवी हार है. ऐसे में बसपा प्रमुख मायावती नए सिरे से संगठन को खड़ा करने की कवायद में है, जिसके लिए उन्होंने पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा चुके दिग्गज नेताओं की घर वापसी कराने की मुहिम शुरू की है. इसे बसपा की भविष्य की सियासी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.  

Advertisement

बसपा ने अपने कॉर्डिनेटर के जरिए उनसे संपर्क साधना और उन्हें लाने की जद्दोजहद शुरू कर दी है, जो एक समय पार्टी के मजबूत चेहरा और जनाधार वाले नेता माने जाते थे. इसी कड़ी में बीएसपी कॉर्डिनेटर कांग्रेस के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी से मिलने उनके पास पहुंचे थे. बीएसपी कॉर्डिनेटर उन्हें बीएसपी में दोबारा से वापस आने को लेकर बातचीत की, लेकिन वो इस पर तैयार नहीं हुए. 

नसीमुद्दीन सिद्दीकी के मुताबिक बसपा के कई कॉर्डिनेटरों ने उनसे मुलाकात की है और उन्हें पार्टी में वापस आने के लिए ऑफर रखा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. नसीमुद्दीन ने कहा, मैं कांग्रेस में रहूंगा और अब मेरे नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी है.

बता दें कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मायावती ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. नसीमुद्दीन ने 2019 में बिजनौर संसदीय से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीतना तो दूर जमानत भी नहीं बचा सके थे. 

Advertisement

गुड्डू जमाली की बसपा में घर वापसी

बसपा में घर वापसी की शुरुआत पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली से शुरू हो गई. बसपा ने न सिर्फ मुबारकपुर से विधायक रहे गुड्डू जमाली की पार्टी में वापसी कराई है बल्कि उन्हें आजमगढ़ सीट लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है. आजमगढ़ संसदीय सीट से अखिलेश यादव ने इस्तीफा दे दिया है, जिसके चलते उपचुनाव होने हैं. ऐसे में बसपा ने गुड्डू जमाली पर दांव खेलकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है.

गुड्डू जमाली बसपा के टिकट पर साल 2012 और 2017 में मुबारकपुर विधानसभा सीट विधायक रहे हैं. 2022 चुनाव से ठीक पहले वह बसपा से नाता तोड़कर सपा में चले गए थे, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे में गुड्डू जमाली ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव में उतरे और 37 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे. बसपा ने जमाली की घर वापसी कर मुस्लिमों का हमदर्द होने का संदेश दिया है. 

बता दें कि बसपा की रणनीति है कि मुस्लिम व दलित एकजुट समीकरण को बनाकर ही सपा और बीजेपी के सियासी रथ को रोक सकते हैं. कांशीराम के दौर में बसपा दलित-मुस्लिम-अतिपिछड़ी जाति के गठजोड़ की हिमायती रही है, लेकिन मायावती के दलित-ब्राह्मण कार्ड चला, जिसका नतीजा रहा कि मुस्लिम धीरे-धीरे सपा में और अतिपिछड़ी जातियां बीजेपी में शिफ्ट होते गए और 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से चला गया.
 
2022 में सियासी झटका लगने के बाद बसपा ऐसे में एक बार फिर से अपने पुराने समीकरण पर लौटना चाहती है, जिसके लिए वो अपने पुराने नेताओं की घर वापसी का प्लान बनाया है. मुस्लिम और गैर यदाव ओबीसी जातियों को दोबारा से लाने की कवायद में है. बाबूसिंह कुशवाह, स्वामीप्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, ओमप्रकाश राजभर, लालजी वर्मा, त्रिभवन दत्त द्ददू प्रसाद जैसे कद्दावर नेता बसपा छोड़कर जा चुके हैं, जिनके सहारे कभी मायावती अति पिछड़ी और मुस्लिम वोटों को अपने साथ जोड़े रखा था.

Advertisement

वहीं, यूपी चुनाव हार के बाद मायावती ने कहा था कि मुस्लिम समाज ने उत्तर प्रदेश में बार-बार आजमाई पार्टी बसपा से ज्यादा समाजवादी पार्टी पर भरोसा कर बड़ी 'भारी भूल' की है. अगर मुस्लिम समाज का वोट दलित समाज के वोट के साथ मिल जाता तो जिस तरह से पश्चिम बंगाल के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ मिलकर बीजेपी को धराशायी करने का चमत्कारी परिणाम आया था, वैसे ही परिणाम उत्तर प्रदेश में भी दोहराये जा सकते थे. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि केवल बसपा ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोक सकती है. ऐसे में अब फिर से उसी मुहिम पर लौटने की कवायद में है, लेकिन बसपा इसमें कितना सफल होगी यह तो वक्त ही बताएगा.

Advertisement
Advertisement