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आरक्षण पर मायावती का बड़ा दांव, दलित-OBC को आबादी के हिसाब से मिले हिस्सेदारी

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि जब सरकार ने आरक्षण के 50 फीसदी के दायरे की सीमा को तोड़ ही दिया है तो आबादी के हिसाब से दलित और पिछड़ों को आरक्षण दिया जाए. हालांकि बसपा का पहले से ही मूलमंत्र रहा है कि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी.

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बसपा अध्यक्ष मायावती (फोटो-PTI)
बसपा अध्यक्ष मायावती (फोटो-PTI)

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आरक्षण को लेकर बसपा अध्यक्ष मायावती ने बड़ा दांव खेला है. मायावती ने कहा कि जब सरकार ने आरक्षण के 50 फीसदी के दायरे की सीमा को तोड़ ही दिया है तो आबादी के हिसाब से दलित और पिछड़ों को आरक्षण दिया जाए. हालांकि बसपा का पहले से ही मूलमंत्र रहा है कि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी.

मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में मंडल स्‍तरीय नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस दौरान उन्होंने नेताओं से कहा कि योगी सरकार द्वारा 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने और उपचुनाव से पहले ही इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएं. इसी मुद्दे को लेकर मायावती ने रविवार को विरोध जताया था.

हालांकि योगी सरकार के 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले को मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी के दलित चेहरा थावरचंद गहलोत ने राज्यसभा में असंवैधानिक करार दिया है.  उन्होंने कहा कि किसी जाति को किसी अन्य जाति के वर्ग में डालने का काम संसद का है. अगर यूपी सरकार इन जातियों को ओबीसी से एससी में लाना चाहती है तो उसके लिए प्रक्रिया है. ऐसे में राज्य सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव भेजेगी तो हम उस पर विचार करेंगे. लेकिन अभी जो आदेश जारी किया है वह संवैधानिक नहीं है.

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बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी किया है. इनमें 17 जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, वाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआरा शामिल हैं. हालांकि योगी सरकार से पहले मुलायम सिंह और अखिलेश यादव भी इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की दिशा में कदम उठाया था.

आरक्षण को लेकर मायावती दलितों के बीच जगह बनाना चाहती हैं और अपनी खोई हुई सियासी जमीन को वापस पाना चाहती हैं. इसी मद्देनजर उन्होंने दलित और ओबीसी समुदाय के लिए उनके आबादी के लिहाज से आरक्षण की मांग की है. सूबे में 13 विधानसभा सीटें रिक्त हुई हैं, ऐसे में इन सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बसपा ने 9 साल के बाद उपचुनाव में उतरने का फैसला किया है. यही वजह है कि मायावती अपने पुराने अंदाज में नजर आ रही हैं और अपने मूल वोटबैंक को साधने की पूरी रणनीति बनाई है.

मायावती ने मंगलवार को बरेली, चित्रकूट, कानपुर, झांसी, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा और अलीगढ़ के नेताओं के साथ बैठक की. इस दौरान में पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ सांसद और जोनल कोऑर्डिनेटर उपस्थित थे.

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बता दें कि बसपा अध्यक्ष ने यूपी को 4 सेक्टरों में बांटने के साथ संगठन को मजबूत बनाने का निर्देश दिया है. सेक्टर गठन के बाद वह पहली बार संगठन की गतिविधियों को लेकर बैठकें करने जा रही हैं. बैठकों में सेक्टरवार दी गई जिम्मेदारियों की समीक्षा की. इसमें बूथ व सेक्टर गठन के साथ भाईचारा कमेटियां बनाने का आदेश दिया.

 

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