मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के फैसले का विरोध करते हुए मायावती ने कहा कि सरकार का काम अपने वायदों से ध्यान बंटाने वाला नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री का काम राजनीति से प्रेरित मालूम होता है. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अपने वादे से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी की सरकार ने काम किया है. इमरजेंसी जैसा माहौल पैदा किया जा रहा है. जैसे कांग्रेस इमरजेंसी लगाई थी वैसे ही बीजेपी अघोषित आर्थिक इमरजेंसी लगा रही है.
मायावती ने कहा कि समाज में गरीबी और बेरोजगारी पहले जैसी ही बनी हुई है. ढाई साल साल में सरकार ने इन की बेहतरी के लिए कोई काम नहीं किया. छोटे व्यापारी और दुकानदार काफी दुखी और परेशान हैं. जैसे ही यह फैसला हुआ, उसके बाद कालाबाजारी शुरू हो गई. कहते हैं कि बीजेपी के लोगों ने कहा कि कुछ घंटों के लिए जितना कमाना है कमा लो कुछ कमीशन हमें भी देना.
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि अगर नोट बंद करने के फैसले को देखा जाए तो वह इस मानक पर खरा नहीं उतरता कि ये किसके लिए किया गया है. चारों तरफ अफरा-तफरी और घबराहट का माहौल है. जब यह फैसला आया तो लोग ऐसे घरों से बाहर निकल आएं जैसे भूकंप आया हो. मोदी सरकार ने तमाम ऐसे फैसले किए हैं, जिससे बड़े-बड़े पूंजीपतियों को फायदा हुआ है. पीएम मोदी की इस पहल से सिर्फ गुजरात और मुंबई के लोगों को फायदा होगा.
मायावती ने कहा कि देश की सुरक्षा खतरे में पड़ी हुई और सीमा पर लगातार संघर्ष हो रहा है. हमारे सैनिक रोज शहीद हो रहे हैं.
मायावती पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि बहन मायावती को नोटों की मालाओं को छिपाने में परेशानी हो रही है.
बहन मायावती को नोटों की मालाओं को छिपाने में परेशानी हो रही है, इसलिए आदरणीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी के फैसले की आलोचना कर रही हैं
— Uma Bharti (@umasribharti) November 10, 2016