उत्तर प्रदेश के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी रहे बृजलाल बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. मायावती के बेहद करीबी रहे बृजलाल नवंबर 2014 में सेवानिवृत्त हुए हैं. माना जाता था कि वे यदि राजनीति का आगाज करेंगे तो बसपा के साथ ही. लेकिन उन्होंने बीजेपी की तरफ रुख कर सबको को चौंका दिया.
बृजलाल के इतिहास पर नजर डाली जाए तो साफ हो जाता है कि वे बसपा के कितने करीब रहे हैं. सारे नियम-कानूनों और वरिष्ठों को दरकिनार कर मायावती ने अक्टूबर 2011 में बृजलाल को प्रदेश का डीजीपी बनाया था. जबकि उस वक्त बृजलाल गाजियाबाद कोर्ट में एक मुकदमा झेल रहे थे. उन पर आरोप था कि रेप के एक मामले में आरोपियों पर एकतरफा कार्रवाई की थी. कोर्ट ने तो सरकार से सवाल भी पूछा था कि वह बृजलाल के खिलाफ दर्ज मुकदमे में क्या कार्रवाई कर रही है.
2012 में यूपी के विधान सभा चुनाव होने थे. चुनाव से ठीक पहले बृजलाल को राज्य का पुलिस प्रमुख बनाए जाने पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की. तब आयोग के आदेश पर बृजलाल को डीजीपी (पीएसी) बनाया गया था. 2007 से 2012 तक बृजलाल मायावती सरकार के सबसे खास पुलिस अधिकारी रहे. वो वर्दी वाले बसपाई माने जाते थे. कहा तो यहां तक जाता था कि एडीजी रहते हुए भी वो डीजीपी स्तर के फैसले कर लेते थे. हालांकि, बसपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य सफाई देते हैं कि बृजलाल हमेशा न्यूट्रल रहे. उनका बसपा से कभी कोई लेना-देना नहीं था.
उसी दौर में ये बात चली कि बृजलाल पुलिस सेवा के बाद बसपा में जाएंगे, क्योंकि वे दलित भी हैं. बावजूद इन सब बातों के बृजलाल का भाजपा में जाना सियासीतौर पर अहम है. हालांकि, उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि जितना करीब वे बसपा के थे, उतना ही उनका करीबी नाता यूपी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी से भी था. अब जबकि भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर अभी से रणनीति बनाना शुरू कर दी है, तो उसे जरूरत है प्रदेश के बड़े दलित चेहरों की. उदित राज पहले ही भाजपा में आ चुके हैं. कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को भी भाजपा में शामिल किया जा चुका है. अब बृजलाल जैसे अफसर भी पार्टी का हिस्सा होंगे. उम्मीद की जा रही है कि बृजलाल के भाजपाई होने के बाद कई और दलित नेताओं के बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.