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मेरठ गैंगरेप मामले में पीड़िता ने कोर्ट में दर्ज कराया बयान, पढ़ें पीड़ि‍ता का पूरा बयान

यूपी के हापुड़ जिले में एक युवती के साथ कथित रूप से हुए गैंगरेप और जबरन धर्म परिवर्तन की घटना मामले में पीड़ि‍ता ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया है. पीड़िता के पिता ने खरखौदा थाना में ग्राम प्रधान नवाब खान, मौलवी सलाउल्ला, उसकी पत्नी और बेटे के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. शिकायत में इन चारों पर पीड़िता का अपहरण करने और उसका रेप करने का आरोप लगाया गया है.

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यूपी के हापुड़ जिले में एक युवती के साथ कथित रूप से हुए गैंगरेप और जबरन धर्म परिवर्तन की घटना मामले में पीड़ि‍ता ने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया है. पीड़िता के पिता ने खरखौदा थाना में ग्राम प्रधान नवाब खान, मौलवी सलाउल्ला, उसकी पत्नी और बेटे के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी. शिकायत में इन चारों पर पीड़िता का अपहरण करने और उसका रेप करने का आरोप लगाया गया है.

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मामले में मौलवी सलाउल्ला, उसकी पत्नी और बेटे को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. पीड़िता की मेडिकल जांच में भी दुष्कर्म की पुष्टि हुई है. ऐसे में पीड़ि‍ता का बयान मामले में विशेष अहमियत रखता है.

अपने बयान में 20 वर्षीय पीड़ि‍ता ने शपथ पूर्वक व स्वेच्छा पूर्वक कहा-

'मैं और नुसरत (काल्पनिक नाम) नर्सरी से इंटर तक एक साथ पढ़े हैं. वो मेरी बहुत अच्छी सहेली है. हम दोनों का एक दूसरे के यहां खूब आना जाना था. इंटर के बाद मैं आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन मेरे पापा शराब पीते हैं. उन्होंने खर्चा देने को मना कर दिया. नुसरत ने मुझे कहा कि सरावा में सुल्तानिया मदरसा है, उसमें मेरी जान पहचान है तुम वहां पढ़ा लो. इस पर मैंने उसे मना कर दिया, क्योंकि मुझे लगता था कि मैं आठवीं के बच्चों को पढ़ाने के लायक नहीं हूं.

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इसके बाद मैं अपने ताऊ जी देवेन्द्र त्यागी के स्कूल में पढ़ाने लगी. मुझे सात सौ रुपये मिलते थे. मैंने दो साल तक वहां पढ़ाया और बीए भी करती रही. जब मैं बीए थर्ड ईयर में आ गई तब नुसरत ने मुझे फिर कहा कि तुम बेकार के चक्कर में पड़ रही हो. हमारे यहां इस्लामिया में पढ़ाओगी तो तुम्हारी जानकारी बढ़ेगी. फिर मैं तुम्हे कहां कहां घुमाऊंगी. मैंने सोचा कि मैं मदरसा से बच्चों को पढ़ाउंगी तो मेरी भी पढ़ाई पूरी होती रहेगी.

मैंने जुलाई 2013 में पढ़ाना शुरू कर दिया. मैं बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित पढ़ाती थी. मुझे पहले एक हजार रुपये मिलते थे. फरवरी 2014 तक मैंने वहां पढ़ाया. मदरसे के मौलाना मुझे उर्दू सिखाते थे. ज्यादातर अपने धर्म की बातें मुझे बताते रहते थे. मैंने कॉन्स्टेबल के लिए फॉर्म भरा. उसकी तैयारी के लिए मैंने पढ़ाना छोड़ दिया. फिर मदरसे वालों ने भी कहा कि तुम्हारी जगह किसी और को रख लेंगे. मैं घर पर रहती पर बहुत परेशान थी. घर की स्थिति बहुत खराब थी. मैं बहुत परेशान रहने लगी. परेशानी में मैं नुसरत को मिलती तो वो हमेशा मुझे कहती कि तुम इस्लाम कबूल कर लो तुम्हे बहुत शांति मिलेगी.

दिनांक 29 जून 2014 को मैं कॉलेज के लिए निकली तो नुसरत मिली. वो बोली मुझे भी कुछ सामान लाना है इसलिए मैं भी चलूंगी. वो बुरका पहन कर मेरे साथ चल दी. हापुड़ तहसील पर मुझे खड़ा करके बोली कि मैं सामान लेने जा रही हूं तुम यहीं रहो. यहां प्रधान जी (नवाब) और हाफिज (सनाउल्लाह) आएंगे तो तुम्हें कॉलेज छोड़ देंगे. तुरंत ही गाड़ी लेकर नवाब, सनाउल्लाह हाफिज व शानू आए. एक गाड़ी चला रहा था.

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शानू सरावा का ही रहने वाला है. एक बार उसने मदरसे में पढ़ाने जाते समय मुझसे छेड़छाड़ भी की थी. उन्होंने मुझे गाड़ी में बिठाया क्योंकि डॉक्टर नवाब तो हमारे गांव के प्रधान थे, मैं उन्हें अच्छे से जानती थी इसलिए मैं गाड़ी में बैठ गई. फिर धीरे धीरे नवाब व शानू ने मुझे छूना शुरू कर दिया. मैंने कहा कि क्या बदतमीजी है तो शानू ने मुझे जोर से धमकाया कि मैं बहुत बड़ा आतंकवादी हूं. तुम्हारे सारे घर को गोलियों से उड़ा दूंगा. गाड़ी में साथ शानू व नवाब ने छेड़छाड़ की. हापुड़ में बुलंदशहर वाली रोड पर एक मदरसा पड़ता है. वहां ले गए वहां शानू ने जबरदस्ती रेप किया.

डॉक्टर नवाब ने भी बलात्कार किया. सनाउल्लाह खां ने बलात्कार नहीं किया वे उधर बैठे रहे. सनाउल्लाह ने मुझे प्राइवेट पार्ट पर छुआ. गाड़ी का ड्राइवर भी नहीं था. मुझे बहुत नशा हो रहा था. मैं विरोध भी नहीं कर पा रही थी. उन्होंने मुझे गाड़ी में बिठाया और खिचड़ी खिलाई फिर उन्होंने मुझे तहसील पर ही छोड़ दिया. मैं तहसील से जैसे-तैसे घर पहुंची. मैं इतनी डरी हुई थी कि बता नहीं पाई. शानू की धमकी से डर गई थी. मैं घर वालों से डरी थी मैंने किसी को कुछ नहीं बताया. लेकिन मुझे प्राइवेट पार्ट में बहुत दर्द था. मैं बैठ भी नहीं पा रही थी.

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मैं नुसरत के पास गई मैंने उसे सब बात बताई, लेकिन वो बोली कि वो लोग ऐसा नहीं कर सकते. मैंने कहा कि तुम्हारी वजह से मेरे साथ ये सब हुआ. वो बोली कि तुम मिलना बंद कर दो, मैं तुम्हे डॉक्टर को दिखा सकती हूं. दिनांक 23 जुलाई 2014 को मैं नुसरत के साथ हापुड़ आई. वहां नुसरत ने मुझे बस में बिठाया. उसमें सनाउल्लाह खां व डॉक्टर नवाब मिले. उन्होंने मुझे चुपचाप बैठने को कहा और मुझे एक बुर्का पहना दिया. वो लोग मुझे एक लैब में ले गए. वहां मेरा अल्ट्रासाउंड कराया. मुझे शानू ने अपनी बीवी बताया.

जांच के बाद महिला डॉक्टर ने कहा कि तुम्हें बहुत ब्लीडिंग हो रही है. आठ दिन की प्रेग्नेंसी है और वो नली में फंस गई है, अगर ऑपरेशन नहीं कराया तो तुम जिंदा नहीं बचोगी. मैंने हां कर दी. डॉक्टर ने बीस पच्चीस हजार का खर्च भी बताया.

दिनांक 23 जुलाई 2014 की रात में मेरा ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के बारे में मुझे कुछ नहीं पता. मुझे बहुत घंटों में होश आया. दिनांक 27 जुलाई 2014 तक मैं अस्पताल में रही. इस बीच में ये तीनों-चारों लोग नहीं आए. डॉक्टर बहुत अच्छी थी. वो मुझसे जानना चाह रही थी, लेकिन मैंने डर की वजह से कुछ नहीं बताया. दिन में हाफिज और नवाब आते थे. 27 जुलाई 14 को इन्होंने कहा कि अब तुम घर चली जाओ, कहीं ज्यादा हंगामा ना हो जाए. इन्होंने मुझे बस में बैठा दिया. मैं घर आ गई. घर वालों को मैंने आकर भी कुछ नहीं बताया. लेकिन मैं बहुत दर्द में थी.

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मैं 29 जुलाई 2014 को रात आठ बजे मेडिकल स्टोर पर दवाई लेने गई. वहां से डॉक्टर नवाब, सनाउल्लाह मुझे उठाकर अपने घर ले गए. रात को सनाउल्लाह के घर में कमरे में बंद रखा. वहां से हापुड़ मदरसे में ले गए. फिर सनाउल्लाह की रिश्तेदारी में हापुड़ में ही गए. ये लोग फोन पर किसी से बात करते कि लड़की को लेकर आ रहे हैं. फिर बुलंदशहर से इन्होंने मुझे गाड़ी में बैठाया और गढ़ की तरफ ले जाने लगे. दौताई गांव में पहुंचे वहां मदरसे में ले गए.

मदरसे के हाफिज ने कहा कि पहले लड़की का धर्म परिवर्तन कराओ तो वो लोग एफीडेविट लेने गए. एक एफीडेविट पर मेरा नाम बदलकर बुशरा जन्नत लिखा और मेरे हश्ताक्षर भी कर दिए. फिर पोपई ले गए वहां एक घर में ले जाकर बंद कर दिया. फिर 1 अगस्त 2014 को मुजफ्फरनगर ले गए, वहां मदरसे में ले गए. वहां मौलाना ने रहने को मना कर दिया. मैं बहुत रोयी तो बोले कि घबराओ नहीं तुम्हारे जैसी और भी लड़कियां आती हैं. दिनांक 3 अगस्त 2014 को मैं वहां से भागी. किस्मत से निकल आई.

एक अंकल से मैंने अपने घर फोन कराया. अपनी बहन को सब बताया और बस में बैठ गई. वहां से भैंसाली अड्डे पर रुकी. वहां सब परिवार ताऊ जी वगैरह आ गए. मुजफ्फरनगर मदरसे में मेरी एक औरत ने पिटाई की मैं उसकी शक्ल देखकर बता सकती हूं. मैं शारीरिक रूप से बेकार हो चुकी हूं. पता नहीं जी पाऊं या नहीं. मुझे ऐसा नहीं लगता कि मेरे कुछ पार्ट शरीर से निकाला गया हो. लोग जानबूझ कर अफवाह उड़ा रहे हैं.

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मुझे भीड़ से बहुत डर लगता है. कोई खाने-पीने को नहीं पूछ रहा है. बस नेता लोग आकर वाहवाही बटोर रहे हैं. पारिवारिक लोग भी साथ नहीं दे रहे हैं. सब ताने दे रहे हैं. भीड़ सिर्फ मुझे बदनाम करने को जुट रही है. इस भीड़ में से कोई ऐसा नहीं है जो ये कहे कि मेरा भविष्य संवार देंगे. मैं पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती हूं.'

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