उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित स्मारक घोटाला मामले में प्रदेश के लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा ने राज्य सरकार को सोमवार को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा कई जनप्रतिनिधियों, लोक निर्माण विभाग व राज्य निर्माण निगम के इंजीनियर्स सहित करीब 200 लोगों को दोषी ठहराया है.
समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) शासनकाल में बनाए गए स्मारकों व पार्कों के निर्माण में हुए घोटाले की जांच लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा को सौंपी थी. लोकायुक्त ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.
लोकायुक्त ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू), वित्त विशेषज्ञों के विश्लेषण के आधार पर 30 फीसदी से अधिक धन के दुरुपयोग का निष्कर्ष निकाला है. इसके लिए दो पूर्व मंत्रियों, दो पूर्व विधायक और एक वर्तमान विधायक, विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों सहित करीब 200 लोगों को भ्रष्टाचार एवं लूट का आरोपी बताया और उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है.
लोकायुक्त ने सरकारी धन के नुकसान की भरपाई आरोपित किए गए लोगों से करने की सिफारिश भी की है. गौरतलब है कि मायावती सरकार के शासनकाल में वर्ष 2007 से 2012 के बीच नोएडा व लखनऊ में करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की लागत से स्मारकों और पार्कों का निर्माण कराया गया था. इसमें करीब 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है.
उधर, कांग्रेस ने कहा कि लोकायुक्त की सौंपी गई रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि बसपा शासनकाल में स्मारकों के नाम पर प्रदेश को किस तरह लूटा गया. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा कि बसपा शासनकाल में स्मारक निर्माण में 1400 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिर्फ स्मारक बनवाने में अगर 1400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है तो प्रदेश में पांच साल के बसपा शासनकाल में हुए अन्य निर्माण कार्यो में कितने की लूट हुई होगी.