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रेप के बाद गर्भवती हुई और अब अबॉर्शन के लिए ठोकरें खा रही

मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग दलित लड़की के साथ रेप होता है, वह गर्भवती हो जाती है और 6 महीने की गर्भवती पीड़िता जिलाधिकारी से अबॉर्शन की अनुमति मांगती है. मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का है.

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मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग दलित लड़की के साथ रेप होता है, वह गर्भवती हो जाती है और 6 महीने की गर्भवती पीड़िता जिलाधिकारी से अबॉर्शन की अनुमति मांगती है. मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का है. पीड़िता और उसकी मां का आरोप है कि बुलंदशहर के नरसैना थाना क्षेत्र की पुलिस भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर रही है.

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उत्तर प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और प्रशासनिक अधिकारी संवेदनहीन. यही कारण है कि रेप की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर रही है. पीड़ित पक्ष के मुताबिक बेखौफ आरोपी गांव में ही खुले आम घूम रहा है.

बुलंदशहर में 20 जून को लड़की की मां ने अपनी पुत्री के साथ हुए रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में पीड़िता की मां ने बताया गया है कि नाबालिग दलित मानसिक रूप से कमजोर बेटी के साथ गांव का आवारा किस्म का आरोपी युवक हथियारों के बल पर डरा धमकाकर 6 महीने तक रेप करता रहा. 16 जून को लड़की की तबीयत बिगड़ने पर मां ने बेटी से सारी जानकारी ली तो घटना का पता चला. लड़की की मां ने बेटी का अल्ट्रासाउंड 19 जून को कराया तो लड़की 26 सप्ताह की गर्भवती निकली.

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पीड़िता की मां ने बताया कि दिसंबर 2013 में उसकी बेटी शौच के लिए गई थी तब मुकेश नाम के युवक ने बेटी को जान से मारने की धमकी दी और 6 महीने तक उसका रेप करता रहा. पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कराने पर कार्यवाही नहीं की. डीएम, एएसपी और अस्पताल गए लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया.

पीड़िता की मां ने कहा कि उसकी बेटी 6 महीने की गर्भवती हो गई है और सात महीने पूरे होने वाले हैं. गर्भपात कराना चाहते हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. वहीं मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी दीपक ओहरी से का कहना था कि जिलाधिकारी का कोई भी आदेश उनके पास नहीं आया है. ऐसे मामले में गायनोकॉलोजिस्ट से राय लेने के बाद कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

ओहरी ने कहा, 'मानवता के आधार पर बच्चे के बारे में एक्सपर्ट से राय ली जाएगी. गायनोकॉलोजिस्ट से राय ली जाएगी. सुरक्षित हुआ तो अबॉर्शन किया जा सकता है.' जिलाधिकारी निधि केसरवानी ने कहा कि अगर माता-पिता पैदा हुए बच्चे को लेने को तैयार नहीं हैं तो बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया भी अमल में लाई जा सकती है.

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