अलीगढ़ में एक ऐसे बच्चे का जन्म हुआ जिसे देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए. यह समय से पहले जन्म लिया बच्चा, मेडिकल टर्म में प्रीमैच्योर बेबी यानी अपरिपक्व बच्चा, है. इसका जन्म सातवें महीने में हुआ है. ऐसा नहीं है कि पहली बार कोई बच्चा सातवें महीने में पैदा हुआ हो लेकिन यह बच्चा सातवें महीने में जन्म लिए बच्चों की तुलना में आधे से भी कम वजन का है.
डॉक्टरों के मुताबिक सामान्यतः सातवें महीने में जन्म लिए बच्चे का वजन 2.6 किलो के आसपास होता है लेकिन इस बच्चे का वजन केवल पौन किलो यानी 750 ग्राम है. जन्म के समय एक किलो से कम वजन के बच्चे की स्थिति को मेडिकल टर्म में हाई रिस्क वाला माना जाता है. यह बच्चा इतना छोटा दिखता है कि हथेली में समा जाए.
डॉक्टर इस बात को लेकर अचंभित हैं कि यह बच्चा अब तक जीवित कैसे है. डॉक्टरों ने अभी भी इस बच्चे को खतरे से बाहर नहीं बताया है. इस बच्चे का जन्म 21 मई को हुआ था.
इस बच्चे की मां पिंकी 20 साल की हैं और डिलिवरी कराने वाली स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंजुला भार्गव के मुताबिक, ‘बच्चे की मां को पहले से कई समस्याएं थीं जिसकी वजह से हमें डिलिवरी करानी पड़ी.’ उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत ही छोटा बच्चा है और अन्य जटिलताओं के अलावा इसकी श्वसन प्रणाली भी अभी आंशिक रूप से ही विकसित हो सकी हैं. इसे जीवित रखने के लिए बड़ी सुविधाओं वाले अस्पताल में भेजना होगा.’
लेकिन इस बच्चे के पिता जो एक बीएसएफ जवान हैं इसका इलाज अलीगढ़ के बाहर कराने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं. इस शहर में भी जब इस बच्चे के जन्म के बाद ये सुविधायुक्त अस्पताल तलाश रहे थे तो इस बच्चे को जीवित रख पाने में मौजूद अत्यधिक खतरे को जानते हुए करीब तीन अस्पतालों ने उसे रखने से मना कर दिया.
बच्चे के चाचा ओम प्रकाश, जो पेशे से एक किसान हैं, ने बताया, ‘हमें मदद नहीं मिल रही थी. हमने बच्चे को एक कपड़े में लपेट रखा था और इस भीषण गर्मी में एक मेडिकल सेंटर से दूसरे में भागते रहे. लगातार तीन जगहों ने इसे रखने से मना कर दिया तो हमने आशा छोड़ दी थी. लेकिन फिर माखन लाल हॉस्पिटल एंड चाइल्ड केयर सेंटर ने इसे रखा और अब इसकी स्थिति बेहतर है.’
इस मेडिकल सेंटर के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर सुनील गुप्ता ने कहा, ‘हमने इसे इस शर्त पर रखा कि उसके बचने के संयोग बहुत कम है. हमने उसे जीवित रखने की गारंटी नहीं दी है. हालांकि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं. इस मामले में मृत्यु दर ज्यादा है. उन्होंने हमें यह बताया कि कैसे वो घंटों मेडिकल सुविधा की तलाश करते रहे. हम बस केवल यह कहना चाहेंगे कि यह बच्चा खुशनसीब है जो जन्म लेने के बाद कुछ घंटों तक इस तरह बिना मेडिकल सुविधा के जीवत रह सका.’
इस मेडिकल सेंटर पर बच्चे को लगातार ऑक्सीजन की सुविधा दी जा रही है जिससे उसकी श्वसन प्रणाली मजबूत बन सके. साथ ही इसका भी ख्याल रखा जा रहा है कि उसे सेप्टिसीमिया यानी रक्त संक्रमण न हो और वो भोजन को भी बरदाश्त कर सके.