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UP MLC चुनाव: BJP में दावेदारों की लंबी लिस्ट, 7 मंत्री-4 क्षेत्रीय अध्यक्ष के अलावा रेस में कई दिग्गज

BJP एमएलसी चुनाव में 17 सीटों पर काबिज होना चाहती है. राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली 6 सीटें अप्रैल-मई में रिक्त हो चुकी है.

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विधान परिषद
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • 6 सीटें अप्रैल-मई में रिक्त हो चुकी हैं
  • बीजेपी के पास 17 एमएलसी अपने हो सकते हैं

बीजेपी का एमएलसी चुनाव में 9 सीटें ही नहीं बल्कि 17 सीटों पर काबिज होने का प्लान है. यूपी में विधायक कोटे की 13 एमलएलसी सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से बीजेपी को 9 और सपा को चार सीटें मिलनी है. वहीं, बसपा और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलनी है. राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली 6 सीटें अप्रैल-मई में रिक्त हो चुकी हैं, जिसके चलते योगी सरकार को उन्हें भी भरना है. इन छह सीटों पर योगी सरकार जिसे चाहेगी उसे भेज सकती है. ऐसे में बीजेपी के सत्ता में रहने के चलते माना जा रहा है कि इन सभी 6 सीटों पर पार्टी अपने नेताओं को ही भेजेगी. मनोनीति होने वाले कोटे में संगठन पर मेहरबानी की उम्मीदें ज्यादा हैं.

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क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, महेश श्रीवास्तव, धर्मेंद्र सैंथवार और रजनीकांत महेश्वरी के अलावा पश्चिम से संगठन के चेहरे और प्रदेश मंत्री डॉ चंद्रमोहन के अलावा संतोष सिंह प्रकाश पाल, ब्रज बहादुर भारद्वाज, रंजना उपाध्याय, अमरपाल मौर्य और प्रियंका रावत भी रेस में हैं. इस तरह से यूपी में बीजेपी के पास 17 एमएलसी अपने हो सकते हैं. जिसमें पहले विधायक कोटे की 13 सीटों पर हो रहे हैं चुनाव में बीजेपी अपने 9 एमएलसी बनाएगी. इसके बाद जल्द ही 6 नेताओं को राज्यपाल कोटे से एमएलसी के लिए गवर्नर के पास भेजेगी. इसके बाद पार्टी की नजर रिक्त दो सीटें पर है

दो एमएलसी सीटें पहले से रिक्त
दो एमएलसी सीटें पहले से रिक्त हैं, जिन पर चुनाव होना है. एक सीट सपा नेता अहमद हसन के निधन से रिक्त हुई है तो दूसरी सीट ठाकुर जयवीर सिंह  के विधायक चुने जाने के चलते रिक्त हुई है. हालांकि, इन दोनों सीटों पर अभी तक उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है. दो सीटों पर बाद में चुनाव होगा. इस तरह बीजेपी दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रहेगी, क्योंकि बीजेपी गठबंधन के पास 273 विधायक है. इसके अलावा दो राजा भाइया की पार्टी का समर्थन है. इस तरह बीजेपी के पास 275 विधायकों का समर्थन हो रहा है. वहीं, सपा गठबंधन के पास 125 सीटों का समर्थन है. इसके अलावा दो कांग्रेस और एक बसपा के विधायक है, जो स्वतंत्र है.

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13 सीटों पर चुनाव
हालांकि, 13 एमएलसी सीटों के साथ अगर रिक्त दो सीटों पर भी चुनाव होते तो विधायकों के लिहाज से बीजेपी 10 और सपा 5 सीटें जीत सकती थी. लेकिन चुनाव 13 सीटों पर हो रहे हैं. इस लिहाज से बीजेपी को 9 और सपा को 4 सीटें मिलेगी. वहीं, बाद में दो रिक्त सीटों का चुनाव होगा तो वो दोनों ही सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी, क्योंकि उसके पास 275 विधायक का समर्थन है. जो सपा की तुलना में दो गुना से भी कहीं ज्यादा है. सपा गठबंधन के पास 125 है जबकि बीजेपी के पास 275 है. ऐसे में बीजेपी के पास वोट के लिए पहली प्राथमिकता के आधार पर 137 वोट होते हैं और सपा के पास 125 ही, उसमें से भी शिवपाल यादव नाराज है. इस तरह से बीजेपी 17 एमएलसी बनाने की दिशा में जुटी है, जिसमें फिलहाल 13 सीटों पर हो रहे चुनाव में से 9 चुनकर आएंगे.

जिन 13 सीटें पर चुनाव हो रहे हैं, उन सीटों का कार्यकाल 6 जुलाई को पूरा हो रहा है.
बसपा : दिनेश चन्द्रा, अतर सिंह राव व सुरेश कुमार कश्यप (अब भाजपा में)
सपा : जगजीवन प्रसाद, डा. कमलेश कुमार पाठक, बलराम यादव, रणविजय सिंह, राम सुंदर दास निषाद व शतरुद्र प्रकाश (अब भाजपा में)
भाजपा : केशव प्रसाद मौर्य, भूपेन्द्र सिंह व योगी आदित्यनाथ (22 मार्च से रिक्त)
कांग्रेस : दीपक सिंह

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बसपा और कांग्रेस की सीटों का गणित
समीकरण के लिहाज से बसपा और कांग्रेस को एक भी सीटें नहीं मिल रही है. वहीं, बीजेपी को 9 सीटें मिल रही है, जिसके कई नेता लाइन में है. योगी सरकार के दो पुराने मंत्री केशव मौर्य और भूपेंद्र चौधरी हैं, जिनका कार्यकाल 6 जुलाई को खत्म हो रहा है. ऐसे में इनका जाना तय है, वहीं, योगी कैबिनेट में इस बार 5 मंत्री ऐसे शामिल किए गए हैं, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. मंत्री जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, राज्यमंत्री जसवंत सिंह सैनी, दानिश आजाद अंसारी, दयाशंकर मिश्र दयालू. 

हालांकि, ये जरूरी नहीं है कि इन सारे नेताओं को विधायक कोटे से ही एमएलसी भेजा जाए बल्कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत सीटें से भी भेजा सकता है. वहीं, बीजेपी से यूपी के चार क्षेत्रीय अध्यक्ष भी लाइन में है, जिन्होंने 2022 के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके अलावा दो प्रदेश उपाध्यक्ष भी कतार में है. इसके अलावा विधानसभा चुनाव में जिन नेताओं को हार मिली है वो भी दावेदारी कर रहे हैं. इनमें संगीत सोम से लेकर सुरेश राणा, मोती सिंह तक लाइन में है. वहीं, पूर्व सांसद प्रियंका रावत का नाम भी चल रहा है.

इसके अलावा सहयोगी दल के तौर पर अपना दल (एस) और निषाद पार्टी की ओर से भी दावेदारी की जा रही है. इसमें निषाद पार्टी के संजय निषाद को चुनाव से ठीक पहले राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनाया गया, जिसके चलते उन्हें अब मिलना मुश्किल है. वहीं, अपना दल (एस) के विधायक इस बार बढ़े हैं, जिससे वो एक सीट मांग रहे हैं. पिछले कार्यकाल में बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल के पति अशीष पटेल को एमएलसी भेजा था. इस तरह से एक सीट अपना दल (एस) को मिल सकती है.
 

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