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मोदी कैबिनेट में बेटे को नहीं बनाया मंत्री तो बोले संजय निषाद- दगाबाज सरकारों का दर्द दिल में है, दिल मुश्किल में है

मोदी कैबिनेट का विस्तार (Modi Cabinet Expansion) हो गया है. अपना दल (एस) (Apna Dal) की अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) भी मंत्री बनी हैं, लेकिन निषाद पार्टी (Nishad Party) के हाथ कुछ नहीं लगा. इससे निषाद पार्टी बेहद नाराज है.

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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ प्रवीण निषाद (फाइल फोटो)
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ प्रवीण निषाद (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कैबिनेट विस्तार से निषाद पार्टी नाराज
  • अनुप्रिया के मंत्री बनने पर उठा सवाल

मोदी कैबिनेट का विस्तार (Modi Cabinet Expansion) हो गया है. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Election) के मद्देनजर सात नए मंत्री (New Ministers) बनाए गए हैं. अपना दल (एस) (Apna Dal) की अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) भी मंत्री बनी हैं, लेकिन निषाद पार्टी (Nishad Party) के हाथ कुछ नहीं लगा. इससे निषाद पार्टी बेहद नाराज है. संजय निषाद ने तंज कसते हुए कहा कि दगाबाज सरकारों का दर्द दिल में है, दिल मुश्किल में है.

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निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) के संस्थापक संजय निषाद ने अपने बेटे और सांसद प्रवीण निषाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने पूछा कि अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है तो प्रवीण निषाद को क्यों नहीं?

संजय निषाद ने कहा, 'अगर अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया पटेल को मंत्रिपरिषद में जगह मिल सकती है, तो सांसद प्रवीण निषाद को क्यों नहीं? निषाद समुदाय के लोग पहले से ही भाजपा को छोड़ रहे हैं और अगर पार्टी अपनी गलतियों को नहीं सुधारती है, तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने होंगे.'

'18 फीसदी निषादों को मिला धोखा'

संजय निषाद ने कहा कि प्रवीण निषाद को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाना निषाद समाज के साथ धोखा है, 18 फ़ीसदी निषाद समाज को एक बार फिर धोखा मिला है जबकि 4 से 5 फीस दी वालों को तरजीह दी गई है. संजय निषाद के बेटे प्रवीण संत कबीर नगर से सांसद हैं. प्रवीण ने 2017 में हुए गोरखपुर उपचुनाव में सपा उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी.

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अनुप्रिया पटेल पर निशाना साधते हुए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, 'जो लोग अपनी सीट जिला पंचायत अध्यक्ष में नहीं जितवा सके, जिन लोगों ने बीजेपी को हराने का काम किया वैसे लोगों को तवज्जो दी गई जबकि निषाद समाज ने एकमुश्त वोट देकर यूपी में और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाई है.' 

संजय निषाद ने कहा कि फिलहाल वह बीजेपी के साथ हैं, लेकिन अगर बीजेपी ऐसे ही निषादों की अनदेखी करती रही तो आने वाले वक्त में वह अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे और बीजेपी से गठबंधन को लेकर सोचने को मजबूर होंगे.

गोरखपुर उपचुनाव जीतकर आए थे सुर्खियों में

2017 में गोरखपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा था. उनके सामने बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला थे.  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में प्रवीण निषाद ने जीत हासिल की थी. इसके बाद वह सुर्खियों में आ गए थे. हालांकि, 2019 चुनाव के दौरान प्रवीण निषाद ने बीजेपी ज्वॉइन कर लिया.

इसके बाद प्रवीण निषाद को संत कबीर नगर सीट से लोकसभा टिकट दिया गया. इस चुनाव में वह जीत गए. प्रवीण निषाद अभी बीजेपी के सांसद हैं, जबकि उनके पिता निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. ऐसे में अगर प्रवीण निषाद पार्टी छोड़ते हैं तो उनकी सदस्यतता भी जा सकती है. यही वजह है कि संजय निषाद कभी बीजेपी के साथ नजर आते हैं तो कभी आंखे तरेरते नजर आते हैं.

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