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कानपुर के फूलबाग मैदान से नहीं गरजेंगे मोदी, बीजेपी ने ही बदली रैली की जगह

कानपुर के ऐतिहासिक फूलबाग मैदान से अब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र ललकार मोदी पाएंगे. कानपुर प्रशासन के ढुलमुल रवैये को देखते हुए बीजेपी ने ही रैली के लिए दूसरे मैदान की अनुमति मांगी है.

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फूलबाग मैदान
फूलबाग मैदान

कानपुर के ऐतिहासिक फूलबाग मैदान से अब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र ललकार मोदी पाएंगे. कानपुर प्रशासन के ढुलमुल रवैये को देखते हुए बीजेपी ने ही रैली के लिए दूसरे मैदान की अनुमति मांगी है.

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26 सितम्बर 2013 को कानपुर बीजेपी कमेटी ने कानपुर प्रशासन को एक पत्र लिखा था. उसमें नरेंद्र मोदी के रैली के लिए ऐतिहासिक फूलबाग मैदान की मांग की थी. कानपुर प्रशासन ने मौखिक तौर पर तो फूलबाग मैदान में रैली करने की अनुमति बीजेपी को दे दी थी, मगर लिखित में अनुमति 4 अक्तूबर तक नहीं दी गई. कानपुर प्रशासन के ढुलमुल रवैये को देखते हुए बीजेपी की चिंता बढ़ती जा रही थी.

 ऐसे में, नरेंद्र मोदी के खास अमित शाह ने कानपुर के नगर अध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी से मैदान बदलने और उसका पूरा ब्योरा मांगा. नगर अध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने नरेंद्र मोदी के रैली के लिए कानपुर इंद्रा नगर इलाके में मौजूद बुद्धा पार्क के सामने बने मैदान का नाम सुझाया.

सुरेन्द्र मैथानी की मानें तो फूलबाग मैदान की क्षमता महज एक से एक लाख बीस हजार लोगों की है, जबकि मोदी की रैली में 4 लाख से ज्यादा भीड़ जुटने की उम्मीद है. ऐसे में इस मैदान को अब रैली के लिए कैंसिल कर दिया गया है. कानपुर के इंद्रा नगर इलाके में मौजूद बुद्धा पार्क के सामने बने मैदान को रैली के लिए चुना गया है. बीजेपी ने इस मैदान में नरेंद्र मोदी के रैली करवाए जाने के लिए अनुमति-पत्र कानपुर के डीएम समीर वर्मा को दे दिया है.

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 फूलबाग मैदान से जुड़ा है इतिहास
फूलबाग मैदान को कानपुर की धड़कन भी कहा जाता है. शहर के उत्तर में स्थित फूलबाग मैदान में कानपुर का पूरा इतिहास समाया हुआ है. इस मैदान से राजनीतिक सफ़र की शुरुआत करने वाले कई सफल राजनेता भी रहे हैं. इंदिरा गांधी भी इस मैदान से भाषण दे चुकी हैं. बीजेपी के लाल कृष्ण आडवाणी का प्रिय भी फूलबाग मैदान है. कहते हैं जब बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस मैदान से हुंकार भरी थी तब रास्ता जाम हो गया था.

 तय हुआ था यहां नहीं होगी कोई राजनीतिक रैली
रैली की वजह से शहर में लगाने वाले जाम को देखते हुए फूलबाग मैदान में किसी भी तरह के रैली के आयोजन को बैन कर दिया गया था. इसका समर्थन सभी पार्टी के नेताओं ने सर्वसम्मति से स्वीकार भी किया गया था. मगर अचानक बीजेपी के जिद्द की वजह से कानपुर प्रशासन उलझन की स्थिति में आ गया था.

 कानपुर के डीएम ने 2 अक्तूबर को बीजेपी की नेताओं के साथ बैठक में ये साफ कर दिया था कि अगर बीजेपी को रैली के लिए मैदान दिया जाता है तो फिर हर पार्टी को देना पडेगा. फिर भी कानपुर प्रशासन ने मैदान की देखरेख करने वाले नगर निगम और सुरक्षा को देखते हुए कानपुर एसएसपी से ब्योरा मांगा था.

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अब सवाल ये उठता है कि जब प्रशासन को इस मैदान की क्षमता पता थी और मोदी के रैली में जुटने वाली भीड़ की भी जानकारी थी तो फिर मैदान को अनुमति के क्यों लटकाए रखा. जब फूलबाग मैदान में किसी भी रैली के आयोजन पर रोक है तो बीजेपी को सीधे तौर पर कानपुर प्रशासन ने मना क्यों नहीं किया.

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