राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत तीन दिनों के दौरे पर उत्तर प्रदेश के कानपुर पहुंचे हैं. यहां वाल्मीकि जयंती के मौके पर सर संघचालक मोहन भागवत ने दलित समाज के लोगों को संघ से जुड़ने और संघ की शाखाओं में आने की अपील की. संघ प्रमुख ने कहा कि अगर बड़ी तादाद में दलित समाज के लोग सीधे संघ और उसकी शाखाओं से जुड़ जाएं तो दलितों के ऐसे कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम में शुमार होंगे. यहां मोहन भागवत ने कहा अगर वाल्मीकि न होते तो राम भी न होते, महर्षि वाल्मीकि के रचे रामायण ने राम को दुनिया से रु-ब-रु कराया.
भागवत के कानपुर प्रवास के क्या हैं मायने?
एक दिन पहले ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को खत्म करने की बात कही थी. मोहन भागवत ने पहली बार यह भी माना कि वर्ण व्यवस्था को लेकर पूर्वजों ने गलतियां कीं. मोहन भागवत के इस बयान की चर्चा पूरे देश में है और अपने इसी बयान के अगले दिन कानपुर के फूल बाग में वाल्मीकि समाज के बीच मोहन भागवत ने अपना संबोधन रखा जहां उन्होंने हिंदू धर्म की अवधारणा में दलित जाति और वाल्मीकि समाज के योगदान को याद किया. लेकिन वाल्मीकि समाज के बीच सार्वजनिक संबोधन का सीधा मतलब दलितों के बीच संघ की पैठ और स्वीकार्यता बढ़ाना था. मोहन भागवत ने वाल्मीकि समाज के लोगों से कहा कि जब दलित समाज और संघ परस्पर एक दूसरे से जुड़ जाएगा तो अगले 20-30 सालों में महर्षि वाल्मीकि का यह कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम हो सकता है.
कानपुर के आसपास के इलाकों और बुंदेलखंड के क्षेत्र में दलित और पिछड़ी जातियों की एक बड़ी आबादी है, जो संघ परिवार और बीजेपी का बड़ा आधार है. संघ प्रमुख हर बार चुनाव से पहले कई दिनों के प्रवास पर कानपुर आते हैं. 2017-2019 और 2022 के चुनाव के पहले मोहन भागवत कानपुर प्रवास पर पहुंचे थे.
'आरएसएस का दायरा बढ़े'
संघ परिवार को लगता है कि अब वक्त आ गया है जब आरएसएस का दायरा दलित और अति पिछड़े वर्गों में तेजी से फैले. हालांकि वाल्मीकि समाज या खटीक जैसी दलित बिरादरी बीजेपी का आधार वोट मानी जाती है, लेकिन संघ के कैडर में अभी भी दलित प्रतिनिधित्व कम है. आरएसएस दलितों को सीधे संघ से जोड़ने की मुहिम चलाता दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वाल्मीकि जयंती पर वाल्मीकि बिरादरी के इस कार्यक्रम में दलित वर्ग के लोगों को संघ की शाखाओं में आने और सीधे संघ से जुड़ने का न्योता दिया है.
'हिंदुत्व की छतरी बड़ी हो'
2024 को लेकर आरएसएस की नज़र सिर्फ राजनैतिक नहीं है. 2024 में बीजेपी फिर सत्ता में आये ये मकसद तो है ही लेकिन धर्मांतरण रुके, दलित समाज हिंदुत्व से जुड़े और हिंदुत्व की छतरी बड़ी हो. ये बड़ा ध्येय है. इस कार्यक्रम में जुटे वाल्मीकि समाज के कई लोगों ने मोहन भागवत के उनके कार्यक्रम में आने को सराहा और कहा कि भले ही अब तक हम लोग समाज के मुख्यधारा से कटे रहे हों लेकिन आने वाला वक्त अच्छा दिखाई देता है. मोहन भागवत का कानपुर दौरा 3 दिनों का है जिसकी शुरुआत उन्होंने वाल्मीकि जयंती पर दलितों के कार्यक्रम से की थी. इसके अलावा वह छात्रों, इंजीनियरों, प्रोफेसर और प्रबुद्ध जनों के साथ एक बैठक करेंगे और वहां अपनी राय रखेंगे.