राज्य कर्मचारियों से संबंधित यौन उत्पीड़न के मामलों में अब पीड़िता को जल्द न्याय मिल सकेगा. ऐसे मामलों में जांच की दोहरी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है. शिकायत की जांच अब एक ही कमेटी से कराई जाएगी. आरोप सही पाए जाने पर एक-दो या कई बरसों के लिए आरोपी अफसर या कर्मचारी की वेतन बढ़ोतरी रोकी जा सकेगी. सर्विस बुक में भी बैड एंट्री कर दी जाएगी.
दफ्तरों में महिला कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न से निजात दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली व उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली में संशोधन कर दिया गया है. कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ के मामलों में प्रदेश में अब तक शिकायत के पहले प्रारंभिक जांच होती थी. प्रथम दृष्टया आरोप सही नजर आने पर विस्तृत जांच की जाती थी. इसके बाद ही कार्रवाई किए जाने की व्यवस्था थी. इसमें काफी समय लग जाता था.
लेकिन नई व्यवस्था के तहत यौन शोषण अथवा यौन उत्पीडऩ की शिकायत पर नियुक्ति अधिकारी जांच के लिए एक शिकायत समिति का गठन करेगा. इसमें एक महिला सदस्य अनिवार्य रूप से शामिल की जाएगी. यह आरोपी को उस पर लगाए गए आरोपों की जानकारी देगी और एक निश्चित समय में सफाई मांगेगी.
समिति दोनों पक्षों की सुनने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट नियुक्ति प्राधिकारी को सौंपेगी. अगर कमेटी ने आरोपों की पुष्टि की तो नियुक्ति प्राधिकारी जांच के नतीजे के आधार पर आरोपी के खिलाफ छोटे दंड की कार्रवाई कर सकेगा. इसके लिए अलग से जांच कमेटी गठित करने की जरूरत नहीं होगी.