उत्तर प्रदेश के बदायूं में किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक टिप्पणी व पोस्ट करने पर एक 15 वर्षीय लड़के को अनोखी सजा दी है. लड़के को 15 दिन की सामुदायिक सेवा करने का दंड दिया गया है. लड़के को गौशाला का सार्वजनिक स्थान साफ करना होगा.
आरोपी लड़के का यह पहला अपराध था और वह नाबालिग है, इसलिए बोर्ड के द्वारा उसको यह सजा दी गई है. सरकारी वकील अतुल सिंह ने बताया कि आरोपी ने सोशल मीडिया पर एक भड़काऊ संदेश के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ की एक मॉर्फ्ड तस्वीर साझा की थी.
अतुल सिंह ने कहा, 'लड़के के खिलाफ इस महीने की शुरुआत में बदायूं के सहसवां थाने में सब-इंस्पेक्टर राजेश कुमार द्वारा आईटी एक्ट की धारा 67 सहित आईपीसी की धारा 505 (शरारती तथ्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बाद में उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया. उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए जेजेबी ने यह सजा सुनाई.'
जेजेबी के सदस्यों ने उसे "समुदाय की सेवा करने का मौका दिया है. जेजेबी अध्यक्ष आंचल अधाना ने सदस्यों प्रमिला गुप्ता और अरविंद कुमार गुप्ता के साथ सोमवार को फैसला सुनाया. साथ ही जेजेबी ने किशोर पर आईटी एक्ट के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
क्या होता है JUVENILE ACT
अगर किसी बच्चे द्वारा समाज विरोधी या कुछ गैर कानूनी काम किया जाता है, तो इसको गैर कानूनी कार्य को बाल अपराध कहा जाता है. कानून के हिसाब से 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया अपराध गैर कानूनी होगा, जिसके तहत बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा.
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 16 वर्ष तक की आयु के लड़कों और 18 वर्ष तक की आयु की लड़कियों के अपराध करने पर बाल अपराधी माना जाता है. बाल अपराधी की आयु सीमा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग निर्धारित की गई है. भारत में बाल अधिनियम 1986 में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू हुआ था, यह एक्ट बच्चों को सुधारने के लिए बना है.