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अगर आप पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर निगम की सीमा में रहते हैं और गोवंश का पालन-पोषण करते हैं तो यह खबर आपके लिए काफी अहम हैं. अब दो से अधिक मवेशी पालन पर आपको पशुपालन विभाग से पशुओं की टैगिंग करानी होगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर एक जनहित याचिका संख्या- 345525/2017 विनय चौधरी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य पर 4 जनवरी 2019 के दिए गए एक आदेश को अब पूरी कड़ाई के साथ वाराणसी प्रशासन ने लागू करा दिया गया है. कोरोना संकट के चलते यह आदेश अबतक लागू नहीं हो सका था.
अब इस आदेश का पालन करते हुए बीते दिनों वाराणसी जिलाधिकारी ने एक बैठक करके नगर निगम सहित तमाम पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वाराणसी नगर निगम सीमा में कोई भी पशुपालक अपने पास दो से ज्यादा गोवंश नहीं रख सकता.
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना पर न केवल पशु जब्त किए जाएंगे बल्कि पशुपालक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. इतना ही नहीं पशुपालक को दो गोवंशी पशुओं को पालने के लिए भी पशुपालन विभाग से संपर्क कर पशुओं की टैगिंग कराना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा न करने पर पशुपालक की डेयरी को व्यवसायिक मानकर नगर निगम की सीमा के बाहर विस्थापित करा दिया जायेगा.
इस बारे में और ज्यादा जानकारी देते हुए वाराणसी नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डाॅ. अजय प्रताप सिंह ने बताया कि व्यवसायिक डेयरी को शहर से विस्थापित करने के मकसद से यह कार्रवाई की जा रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका के बाद दिए गए आदेश पर जिलाधिकारी वाराणसी की ओर से बैठक करने के बाद यह निर्देशित किया गया है. अब नगर निगम सीमा में कोई भी व्यक्ति 2 से ज्यादा गोवंश नहीं पाल सकता और साथ ही ऐसे लोगों को भी अपने पशुओं की पशुपालन विभाग से टैगिंग कराना अनिवार्य है.
उन्होंने आगे बताया कि पूरी टीम बन चुकी है. जिसमें पुलिस-प्रशासन के साथ ही नगर निगम प्रशासन भी शामिल है. 10 पशु बंदी वाहन भी लगा दिए गए हैं. सभी डेयरी को चिन्हित करके शहर से बाहर निकालने का काम चल रहा है और बहुत जल्द यह पूरा हो जायेगा. कार्रवाई के तहत पहले दिन एक हजार रूपया जुर्माना, दो सौ खुराकी, दोबारा पकड़े जाने पर शपथपत्र के साथ 2 हजार जुर्माना और 2 सौ रूपया खुराकी और तीसरी बार उल्लंघन करने पर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक एफआईआर दर्ज कर पशु जब्त करने के भी आदेश है.
उन्होंने बताया कि 25-30 डेयरी चिन्हित भी हो चुकी है और विस्थापित करने के लिए हिदायत भी दी जा रही है. ऐसी कार्रवाई इसलिए जरूरी है, क्योंकि पशुपालक दूध निकालने के बाद अपने पशुओं को सड़क पर छोड़ देते है. जिससे ट्रैफिक प्रभावित होने के साथ लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं. इनके मलमूत्र से शहर के सीवर और नालियां भी जाम हो जाती हैं और प्रदूषण फैलता है.