एक राजनीतिज्ञ का जिंदगी में सपना होता है कि वह संसद पहुंचे. लोकसभा का सदस्य बनना तो और भी सौभाग्य और सम्मान की बात होती है. लेकिन इस बार की लोकसभा में कई सांसद ऐसे हैं, जिन्हें जीतने के बाद भी खुशी नहीं मिल रही है.
भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के सांसदों से बात करने पर पता चलता है कि उन्हें जीत की खुशी कम है, परेशानी इस बात की है कि इतने ज्यादा सांसद जीत गए हैं कि उनको पहले के सांसदों जितना रुतबा नहीं मिल पा रहा है.
उत्तर प्रदेश से आने वाले दो सांसद ऐसे हैं जिन्हें जीत के बाद मंत्री पद गंवाना पड़ा है. आगरा से एसपी सिंह बघेल और इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी चुनावों में बड़ी जीत मिली.
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में रीता बहुगुणा जोशी के पास महिला, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्रालय के साथ पर्यटन मंत्रालय की भी जिम्मेदारी थी. वहीं एसपी सिंह बघेल पशुधन, लघु सिंचाई और मत्स्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
सूत्रों के मुताबिक इन दोनों ने लोकसभा चुनाव लड़ने की अनिच्छा जताई थी लेकिन पार्टी नेतृत्व के आगे इनकी न चल सकी.
रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट सीट से विधायक भी हैं. उन्हें इलाहाबाद से चुनाव लड़ाया गया. इलाहाबाद से उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, कैबिनेट मंत्री गोपाल नंदी जिनकी पत्नी मेयर हैं लेकिन इनमें से किसी को नहीं लड़ाया गया.
बड़ी जीत दर्ज करने के बाद भी उन्हें कुछ उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में जगह मिलेगी लेकिन मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से दोनों के समर्थकों में उदासी छा गई.
अब हाल में कोई उम्मीद नहीं है. लखनऊ में गाड़ी, बंग्ला, स्टाफ, मंत्रालय का जलवा मिला लेकिन दिल्ली का रास्ता साफ होने के बाद यहां सब गायब है. अब सांसद के तौर पर मोदी सरकार और योगी सरकार को काम के लिए चिट्ठी लिखनी पड़ेगी.
वैसे खबर है कि रीता बहुगुणा जोशी अपनी विधायकी वाली सीट से बेटे को टिकट दिलाना चाहती हैं और एसपी सिंह बघेल भी यह सीट अपने किसी परिवार के सदस्य को ही सौंपना चाहते हैं.