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चाय पीते ही बेहोश होकर गिर पड़े अंसारी और पत्नी, भाई अफजाल ने की CM योगी से बात

मुख्तार से बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने aajtak.in से बातचीत करते हुए बताया कि मुख्तार जेल में पत्नी के साथ चाय पी रहे थे. चाय पीने के कुछ ही देर बाद वे बेहोश होकर गिर पड़े. उनकी पत्नी भी बेसुध हो गईं. दोनों को तत्काल बांदा अस्पताल लाया गया जहां से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया. दोपहर करीब 12 बजे परिवार को इस घटना की सूचना दी गई.

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मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी

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पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और विधायक मुख्तार अंसारी को जेल में हार्ट अटैक आने के बाद लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है. अंसारी के साथ उनकी पत्नी को भी हार्ट अटैक आया है और उन्हें भी लखनऊ भेजा गया है. पत्नी आयशा मुख्तार से मिलने बांदा जेल गई थीं और वहीं दोनों की हालत बिगड़ने पर उन्हें पहले बांदा अस्पताल ले जाया गया जहां से केजीएमसी भेज दिया गया.

मुख्तार से बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने aajtak.in से बातचीत करते हुए बताया कि मुख्तार जेल में पत्नी के साथ चाय पी रहे थे. चाय पीने के कुछ ही देर बाद वे बेहोश होकर गिर पड़े. उनकी पत्नी भी बेसुध हो गईं. दोनों को तत्काल बांदा अस्पताल लाया गया जहां से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया. दोपहर करीब 12 बजे परिवार को इस घटना की सूचना दी गई.

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अफजाल ने कहा कि जिस तरह से ये घटना घटी उससे काफी आशंकाएं हैं लेकिन उनकी प्राथमिकता पहले मुख्तार और उनकी पत्नी को सकुशल लखनऊ पहुंचाकर उनका इलाज करवाना है. परिवार गाजीपुर से लखनऊ के लिए रवाना हो गया है.

बताया जाता है कि सूचना मिलने पर अफजाल ने अंसारी के लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी कॉल किया. हालांकि बाद में बांदा प्रशासन ने उन्हें सड़क मार्ग से ही लखनऊ रवाना कर दिया.

मुख्तार अंसारी का सियासी रसूख

मुख्तार अंसारी ने अपना सियासी सफर बसपा से ही शुरू किया था. वो पिछले पांच  विधानसभा चुनाव में जीतकर विधायक बनते आ रहे हैं.  मुख्तार 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर उतरे और जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2002 और 2007 में चुनाव जीता. इसके बाद 2012 में अंसारी कौमी एकता दल का गठन करके चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की. 2017 विधानसभा चुनाव में बीएसपी से उतरे और मोदी लहर में भी जीतने में कामयाब हुए.

अफजाल अंसारी ने 1985 से 1996 तक लगातार जीत हासिल की. वो विधायक से लेकर सांसद तक बने. अफजल अंसारी ने वामपंथी पार्टी से लेकर सपा तक से जीत हासिल की, लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी उम्मीदवार कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए.  इन्हीं कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार जेल में बंद हैं.

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