उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान बना समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन अब टूट गया है. दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. इस बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मायावती और अखिलेश यादव पर तंज कसा है.
अजीब दास्ताँ है ये ,कहाँ शुरू कहाँ खतम।
ये मंज़िले है कौनसी न वो समझ सके न हम। pic.twitter.com/bAEuOXmjmn
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) June 25, 2019
ट्विटर पर फिल्म का गाना शेयर करते हुए नकवी ने दोनों की दोस्ती पर सवाल उठाए.अखिलेश यादव और मायावती की तस्वीर के साथ ट्विटर पर मुख्तार अब्बास नकवी ने लिखा, 'अजीब दास्तां है ये ,कहां शुरू कहां खत्म, ये मंजिलें है कौनसी, न वो समझ सके, न हम.'
इसके अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट किया. चौहान ने लिखा है-
असल में, 24 जून को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपना रुख साफ कर दिया है. ट्विटर पर मायावती ने लिखा कि पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी.परिवार के जीतने के लाले पड़ गये, बसपा को वोट कहां से दिलाते! इस चुनाव में जातिवाद, परिवारवाद, पंथवाद समाप्त हो गया, फिर भी सबक नहीं सीखा। कुछ दलों में अभी भी परिवारवाद बढ़ रहा है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2019
मायावती ने लिखा, 'बीएसपी की आल इण्डिया बैठक 23 जून को लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली. इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था. फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं.वे पूरी तरह से सही नहीं हैं, जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था.'
गठबंधन का जिक्र करते हुए मायावती ने लिखा, 'वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया.'
इसके बाद गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए मायावती ने लिखा, 'लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है. पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी.'गठबंधन का जिक्र करते हुए मायावती ने लिखा, 'वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया.'