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सपा नेताओं पर बरसे मुलायम बोले, 'अखिलेश से ज्यादा मेरा खुश होना जरूरी'

मुलायम सिंह को अपनी पार्टी के नेताओं को खरी-खरी नसीहतें देने के लिए जाना जाता है. सोमवार को वह लोहिया जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पार्टी दफ्तर पहुंचे. इसी दौरान वह कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर बिगड़ गए.

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मुलायम सिंह को अपनी पार्टी के नेताओं को खरी-खरी नसीहतें देने के लिए जाना जाता है. सोमवार को वह लोहिया जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पार्टी दफ्तर पहुंचे. इसी दौरान वह कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पर बिगड़ गए. बात तो भाषण के दौरान नारे लगने पर शुरू हुई थी लेकिन एक बार जब नेताजी ने फटकारना शुरू किया तो तो फिर एक-एक कर अलग अलग मुद्दों पर कार्यकर्ताओं समेत पार्टी के सभी छोटे बड़े नेताओं से लेकर मंत्रियों तक की जम कर क्लास ली.

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'नेताजी' ने साफ कहा कि पार्टी में अनुशासन और पढ़ने-लिखने वाले कार्यकर्ताओं-नेताओं की जबरदस्त कमी है और ज्यादातर लोग इमानदारी से काम करने के बजाए चापलूसी कर आगे बढ़ना चाहते हैं. इतना ही नहीं सपा सुप्रीमो ने दावे के साथ कहा कि पार्टी के बड़े बड़े नेता और मंत्री इन दिनों एशो-आराम में पड़ गये हैं और उनमें से ज्यादातर ने पार्टी का संविधान और चुनावी घोषणापत्र तक नहीं पढ़ा है. मुलायम सिंह ने पार्टी की नई पौध बने नौजवान नेताओं से अपील की कि खुद को अनुशासित रखें क्योंकि आने वाले दौर में चुनाव जीत कर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व बनाए रखना उनके लिये बड़ी चुनौती है.

पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं को कभी प्यार तो कभी फटकार से समझाते मुलायम सिंह ने मंत्रियों और नेताओं के सिफारिशी अंदाज पर भी चुटकी ली. कहा गलती करने वाले अपने खासमखास अफसर की पोस्टिंग करवाने के लिये नेता अकसर उनके ईमानदार होने का तर्क देते हैं जबकि ईमानदार होना अधिकारियों की नौकरी पर बने रहने के लिये पहली शर्त है.

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अपने नेताओं पर कैसे सख्त हुए मुलायम
- मैं बहुत बार समझा चुका हूं कि भाषण के वक्त नारे नहीं लगाए जाते. पर फिर भी कोई मानता नहीं. इतनी अनुशासनहीनता मैंने कहीं नहीं देखी. मैंने अखिलेश से बताया जब हमने पहली सरकार बनाई थी तब कैसे लोग थे मेरे साथ. अब तो यहां चापलूसों की जमात है. कितने लोगों को निकालोगे यहां. नारे लगाने से अखिलेश खुश होगा, तो मैं बता दूं, अखिलेश के खुश होने से ज्यादा जरूरी मेरा खुश होना है.

- आपके सामने दोबारा सरकार बनाने की बड़ी चुनौती है. अगर दोबारा सरकार न बना पाए तो आपको बहुत मुश्किल होगी.

- मैं दावा करता हूं कि हमारी पार्टी के मिनिस्टरों तक को संविधान नहीं पता है और पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र भी. जबकि मात्र 23 पन्ने का है.

- किसान और गांव के रहने वालों को सब पता है आप क्या कर रहे हो. मुझे बताया गया कि काम तो बहुत बढ़िया हो रहे हैं लेकिन अपने लड़कों पर लगाम लगाइये. जैसा मन आता है वैसा करते हैं, पक्षपात करते हैं, अधिकारियों से लड़ते हैं. बताइये, अधिकारी से लड़ा जाएगा. अधिकारी अगर गलत करता है तो उसकी शिकायत करिये.

- अधिकारी की सिफारिश कभी नहीं करना. कई सिफारिश आती हैं कि साहब गलती हो गई ईमानदार अधिकारी है वापस भेज दीजिये. तो अधिकारी को तो ईमानदार रहना ही है. कोई एहसान कर दिया क्या अगर ईमानदार है.

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- शौकीनी, फिजूलखर्ची सबसे ज्यादा कमजोर करने वाला मामला है. शौक बहुत बढ़ गया है आज कल. मगर आपकी पार्टी अलग है. आप लोहियावादी हो.

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