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मुस्लिमों को मनाने में जुटे मुलायम सिंह

देवबंद के गढ़ वाले इलाके मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति मुस्लिमों में उपजे गुस्से की भरपाई सुन्नियों का मरकज और दरगाह आला हजरत की धरती बरेली से जुड़े रुहेलखंड के इलाके से करने का तानाबाना सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बुना है.

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मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव

देवबंद के गढ़ वाले इलाके मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति मुस्लिमों में उपजे गुस्से की भरपाई सुन्नियों का मरकज और दरगाह आला हजरत की धरती बरेली से जुड़े रुहेलखंड के इलाके से करने का तानाबाना सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बुना है.

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21 नवंबर को बरेली में पार्टी की 'देश बचाओ-देश बनाओ' रैली के पीछे मुलायम की मंशा रुहेलखंड इलाके में मुस्लिमों के बीच पार्टी की पकड़ को और मजबूत बनाना है. यहां रैली करके मुलायम सिंह यादव सफाई देना चाहते हैं कि उनके लिए मुस्लिम वर्ग आज भी उसी तरह महत्वपूर्ण है, जैसा 90 के दशक के शुरू से रहा. यह वही मुस्लिम वोटबैंक है, जिसकी वफादारी के बूते पार्टी समर्थक उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं.

मुलायम अच्छी तरह समझ्ते हैं कि सुन्नी बरेलवियों की आवाज कहां तक असर करती है. एक वजह यह भी है कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद देवबंदियों का गढ़ कहलाने वाले इलाके से सपा सरकार के लिए अच्छे स्वर नहीं सुने जा रहे. ऐसे में अगर कहीं नुकसान होता है तो उसकी भरपाई रुहेलखंड से हो जाए.

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वैसे रुहेलखंड की बात करें तो यादवों के गढ़ बदायूं को छोडक़र यह अंचल कभी भी समाजवादी पार्टी के लिए मुफीद नहीं रहा. बरेली में संतोष गंगवार जैसे असरदार बीजेपी नेता और आंवला व पीलीभीत में मेनका गांधी-वरुण गांधी जैसे राष्ट्रीय कद के नेताओं की मौजूदगी के कारण सपा को पैर रखने की जगह ही नहीं मिली. पिछले चुनाव में बरेली सीट भाजपा के हाथ से निकली तो कांग्रेस ने लपक ली.

सपा ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस इलाके में खासी राजनीतिक पकड़ रखने वाले कुर्मी वर्ग के साफ-सुथरे विधायक भगवत सरन गंगवार को प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया, धार्मिक पृष्ठभूमि की दो मुस्लिम हस्तियों को 'लालबत्ती' से नवाजा, बरेली के विकास के लिए सरकारी खजाना खोल दिया. बरेली में रैली करके मुलायम इस चर्चा पर पूर्णविराम लगा देना चाहते हैं कि मुसलमान सपा से नाराज हैं. रैली में बड़े पैमाने पर मुस्लिम भागीदारी दर्शाने की रणनीति है, जिस पर अमल के लिए बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव के नेतृत्व में मंत्रियों-नेताओं की फौज पिछले पंद्रह दिनों से बरेली में डेरा डाले हुए है. शायद मुलायम अपने लिए दिल्ली का रास्ता इधर से ही होता जाता देख रहे हैं.

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