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मुजफ्फरनगर दंगों की नाराजगी मिटाने के लिए 'मुस्लिम कार्ड' चलेंगे मुलायम

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुस्लिमों में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति फैली नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जमकर 'मुस्लिम कार्ड' खेलने की तैयारी कर ली है.

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मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुस्लिमों में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रति फैली नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जमकर 'मुस्लिम कार्ड' खेलने की तैयारी कर ली है. इसकी शुरुआत 15 सितंबर से हुई जब सपा ने आनन फानन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में खासा दखल रखने वाले कांग्रेसी सांसद रशीद मसूद के भतीजे और सहारनपुर की मुजफ्फराबाद सीट से पूर्व विधायक 43 वर्षीय इमरान मसूद को पार्टी में शामिल कर लिया.

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14 सितंबर को अचानक पूर्व केंद्रीय मंत्री सोमपाल शास्त्री के बागपत से सपा की उम्मीदवारी छोडऩे के ऐलान से सकते में आई सपा ने अगले ही दिन मसूद को पार्टी में शामिल कर पश्चिमी जिलों में मुस्लिम समीकरण का साधने की कोशिश की. इमरान मसूद पहले भी सपा में रहे हैं और 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में चले गए थे. बात यही नहीं रुकी. नाराज सोमपाल शास्त्री को मनाने के बजाय पार्टी ने 16 सितंबर को इनकी जगह बागपत के सिवाल खास विधानसभा क्षेत्र से विधायक गुलाम मुहम्मद को लोकसभा चुनाव का टिकट थमा दिया.

असल में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी जिलों के जातीय समीकरण काफी हद तक बदल चुके हैं. जाट और मुस्लिम मतों के बंटवारे ने सपा के लिए नए सिरे से अपनी चुनावी रणनीति तैयार करने की गुंजाइश पैदा की है. यही वजह है कि बागपत में राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित सिंह के सामने जाट प्रत्याशी न खड़ा कर सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी को तरजीह दी है.

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2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने बागपत से साहब सिंह के रूप में जाट को टिकट दिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा ने सबसे पहले इस सीट से जाट नेता विजयपाल की उम्मीदवारी की घोषणा की थी लेकिन मई में इन्हें बदल कर पूर्व कृषि राज्य मंत्री सोमपाल शास्त्री को टिकट थमा दिया था.

अब गुलाम मुहम्मद को बागपत से उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने यह साफ कर दिया कि वह मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी दूर करने का भरसक प्रयास करेगी. सपा के एक प्रदेश सचिव बताते हैं कि पार्टी के भीतर गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर के प्रत्याशियों को बदलने के लिए भी मंथन चल रहा है.

पार्टी के नेता बताते हैं कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से उपजे राजनीतिक माहौल में मुस्लिम मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए सपा कई लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी बदल कर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है.

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