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RTI कार्यकर्ता की मौत, फाइलों में छिपा है हत्‍यारों का सुराग!

गाजियाबाद से सटे हापुड़ में दो दिन पहले हुई आरटीआई कार्यकर्ता मंगत सिंह त्यागी की मौत का मामला गरमाने लगा है. बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के बनखंडा गांव में गोली मारकर की गई हत्‍या मामले की जांच पुलिस के बजाय किसी अन्य जांच एजेंसी से कराने की मांग की गई है.

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गाजियाबाद से सटे हापुड़ में दो दिन पहले हुई आरटीआई कार्यकर्ता मंगत सिंह त्यागी की मौत का मामला गरमाने लगा है. बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के बनखंडा गांव में गोली मारकर की गई हत्‍या मामले की जांच पुलिस के बजाय किसी अन्य जांच एजेंसी से कराने की मांग की गई है. गांववालों की मांग पर जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने मामले की जांच एसटीएफ से कराने का निवेदन प्रदेश सरकार से किया है.

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मृतक के भाई विजयपाल और आरटीआई एसोसिएशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुभाष पाल का कहना है कि त्यागी बेहद ही ईमानदार इंसान थे. वे आरटीआई के जरिये बड़े खुलासे कर रहे थे और इसी वजह से उनकी हत्या की गई हो.

मंगत सिंह त्यागी के हत्यारे कौन सी गाड़ी में आए, उनकी संख्या कितनी थी, वह किस रास्ते से फरार हुए, इन तमाम सवालों के जवाब पुलिस मृतक के घर के पास स्थित भारत गैस गोदाम और पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में तलाश रही है. गोदाम में कुल चार कैमरे लगे हैं. इनमें से एक गोदाम के बाहर लगा हुआ है.

फाइलों में छिपा है हत्‍यारों का सुराग
आरटीआई एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगत सिंह की हत्या क्यों और किसलिए की गई, इसका राज उनके कमरे में बंद 20 हजार फाइलों में छिपा हो सकता है. इस कमरे में अमूमन वह किसी को नहीं जाने देते थे. उनके नजदीकियों का मानना है कि इन फाइलों में कई विभागों-अफसरों का काला चिट्ठा है जिनमें उनसे रंजिश रखने वालों की जानकारी मिल सकती है. पिछले सात वर्षों से गरीब, मजदूर और मजबूरों के लिए संघर्ष करने वाले मंगत सिंह त्यागी की हत्या भी भ्रष्टाचार के बड़े खुलासे के डर से की गई लगती है.

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त्यागी ने करीब 14000 से अधिक आरटीआई दाखिल कर विभिन्न विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. इन घोटालों में गढ़ क्षेत्र में घोडा फार्म जमीन घोटाला, नोएडा की सदर तहसील में करीब 250 एकड़ जमीन घोटाला, तहसील हापुड़ के गांव अछेजा में 1000 करोड़ रुपये की जमीन का घोटाला, सिंभावली शुगर मिल में करोड़ों का घोटाला उजागर किया था. सबसे बड़ा घोटाला गढ़ क्षेत्र के बिजली विभाग में करीब 225 करोड़ रुपये का घपला था जिसमें त्यागी को कई बार अंजाम भुगतने की धमकियां भी मिल चुकी थीं.

RLD के सच्‍चे सिपाही थे त्‍यागी
पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले मंगत सिंह त्यागी रालोद के सच्चे सिपाही भी रहे थे. सियासी दलों में पनप रहे भ्रष्टाचार को देख उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली. करीब सात वर्ष पहले मंगत सिंह त्यागी ने आरटीआई संगठन खड़ा कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका था. वर्ष 2007 में त्यागी ने आरटीआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम से संस्था का गठन किया. इसका मुख्यालय उन्होंने गांव बनखंडा में ही बनाया. वर्ष 2012 में एसोसिएशन रजिस्टर्ड हुई तो उन्होंने यूपी, उत्तराखंड, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में इसकी शाखाएं खोली. इस संगठन में नौ राज्यों में 20 हजार से कार्यकर्ता हैं जबकि संस्था 30 हजार से अधिक आरटीआई दाखिल कर चुका है.

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