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मुस्लिम उलेमाओं ने RSS से पूछा, 'भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का क्या है खाका?'

सुन्नी उलेमा काउंसिल के महासचिव की अगुवाई में मुस्लिम उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी से मुलाकात कर संघ से छह सवाल किए जिनमें यह सवाल भी शामिल है कि क्या संघ ने भारत को हिंदू ‘राष्ट्र’ में तब्दील करने के लिए कोई खाका तैयार किया है. काउंसिल का दावा है कि इन सवालों से भगवा संगठन चिढ़ गया है.

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Indresh Kumar
Indresh Kumar

सुन्नी उलेमा काउंसिल के महासचिव की अगुवाई में मुस्लिम उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी से मुलाकात कर संघ से छह सवाल किए जिनमें यह सवाल भी शामिल है कि क्या संघ ने भारत को हिंदू ‘राष्ट्र’ में तब्दील करने के लिए कोई खाका तैयार किया है. काउंसिल का दावा है कि इन सवालों से भगवा संगठन चिढ़ गया है.

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मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि संघ के पदाधिकारी इंद्रेश ने उनके इन सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम संगठनों का एक सम्मेलन बुलाया जाना चाहिए, जहां वह सार्वजनिक रूप से इन सवालों के जवाब देंगे.

सुन्नी उलेमा काउंसिल के महासचिव हाजी मोहम्मद सलीस ने कहा, 'हमने बीती रात संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश से मुलाकात की, जिस दौरान हमने छह सवाल किए लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं था.' उन्होंने आरोप लगाया कि संघ के प्रचारक और संगठन में अल्पसंख्यक मामलों के प्रभारी इंद्रेश इन सवालों से 'क्रोधित' हो गए.

उन्होंने कहा, 'हमारा पहला सवाल था कि क्या संघ भारत को एक हिंदू देश मानता है? दूसरा सवाल, क्या संघ ने भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने के लिए कोई खाका तैयार किया है? तीसरा सवाल यह कि क्या यह हिंदू ‘राष्ट्र’ हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होगा या संघ ने कोई नया फलसफा तैयार है?.'

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सलीस ने कहा, 'चौथा सवाल यह कि धार्मिक धर्मांतरण पर वे क्या चाहते हैं? पांचवां सवाल कि संघ मुस्लिमों से किस प्रकार का राष्ट्र प्रेम चाहता है? छठा सवाल यह कि संघ इस्लाम को कैसे देखता है?' उन्होंने कहा कि ये वे छह सवाल थे जिनका इंद्रेश कोई जवाब नहीं दे पाएं.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, 'संघ के पास कोई खाका नहीं है. वे केवल दुष्प्रचार के आधार पर ‘हिंदू राष्ट्र’ के बारे में शोर मचा रहे हैं.' सलीस ने आशंका जताई कि यदि हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों के आधार पर हिंदू राष्ट्र का निर्माण होता है, तो दलितों को एक बार फिर से मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.

सलीस ने कहा, 'हमने पूछा कि क्या संघ ने कोई नया फलसफा तैयार किया है? यदि कोई नया फलसफा तैयार किया गया है, तो इसका मतलब है कि हिंदू धर्म एक धार्मिक संस्कृति नहीं है. ऐसी सूरत में, कोई भी धर्म बदल सकता है.' उन्होंने इसके साथ ही कहा कि जब संविधान धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, तो संघ विधेयक लाने से क्यों डरता है.

उन्होंने कहा, 'हम डरे हुए नहीं हैं. यदि कोई मुस्लिम इस्लाम को पसंद नहीं करता और छोड़कर जाना चाहता है, तो वह जा सकता है. हमारे पास किसी को मजबूरी में मुसलमान बनाए रखने के लिए कोई कानून नहीं है.' सलीस ने कहा कि जहां तक देश के लिए प्रेम की बात है, तो उनके पूर्वजों ने जिन्ना और पाकिस्तान को खारिज कर दिया था.

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'1947 में जब दो राष्ट्रों की अवधारणा का फैसला हुआ, हमारे पूर्वजों ने जिन्ना और पाकिस्तान को नकार दिया था और गांधीजी को अपने नेता के रूप में, भारत को अपने देश के रूप में स्वीकार किया था और संविधान में आस्था जताई थी.' सलीस ने कहा, 'वे मुस्लिमों से क्या चाहते हैं? उन्हें वंदेमातरम् गाना चाहिए और भारत माता की तस्वीर के आगे झुकना चाहिए जिसकी परिकल्पना उन्होंने की है? हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. यह इस्लाम के विरूद्ध है.'

सलीस ने कहा, '90 मिनट तक चली मुलाकात का अंतिम नतीजा यह था कि संघ ने हमसे मुस्लिमों का एक 'सम्मेलन' बुलाने को कहा और वे हमारे सवालों का उसमें जवाब देंगे.' उन्होंने कहा, 'मैंने कहा कि जब आप एक कमरे में इन सवालों का जवाब नहीं दे सकते, तो सम्मेलन में कैसे आप इनका जवाब देंगे. उसके बाद हमने पूछा कि हमें सम्मेलन क्यों बुलाना चाहिए.'

सुन्नी उलेमा कौंसिल के महासचिव ने बताया कि इन मुद्दों को लेकर मुस्लिमों में बेचैनी है. उन्होंने कहा, 'मैं हमारे समुदाय में उठाए जा रहे इन सवालों का जवाब लेने आया था.' उन्होंने कहा, 'मेरा यह मानना है कि हमारा धर्म कोई भी हो, हमें संविधान के प्रति ईमानदार होना चाहिए. धर्म हमारा निजी मामला है. यह राष्ट्र का मुद्दा नहीं है. हम ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी के बयानों तक का समर्थन नहीं करते हैं.'

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उन्होंने साथ ही कहा, 'जो सांप्रदायिक भावनाएं भड़का रहे हैं, वे देश के वफादार नहीं हैं. देश गांधी के सिद्धांतों पर चलेगा, यह संघ या ओवैसी के बयानों से नहीं चलेगा.'

इस बीच, इंद्रेश और मुस्लिम नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के बीच बीती रात की इस मुलाकात में शामिल नहीं होने वाले शहर काजी ने कहा कि इसका 'कोई मतलब' नहीं था, क्योंकि वह अपने समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए केवल संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मिलेंगे.'

शहर काजी आलम रजा नूरी ने बताया, 'सलीस ने हमें बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन मैं पहले ही इंद्रेश से मिल चुका था, तो उनसे दोबारा मिलने का कोई मतलब नहीं था. मैं केवल तभी मुलाकात करूंगा जब भागवत हमें बुलाएंगे.'

उन्होंने कहा, 'अगर हम भागवत से मिलते, तो हम हिंदू राष्ट्र के उनके एजेंडे के बारे में अपने मुद्दे पेश करते. इंद्रेश के साथ मुलाकात से संगठन के नजरिए में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.' उन्होंने इसके साथ ही कहा कि मुलाकात के समय वह शहर से बाहर थे और यदि वे यहां होते, तो भी इंद्रेश से नहीं मिलते.'

इस बीच, 'सलीस ने कहा कि संघ पदाधिकारी से मिलने वालों की सूची में नूरी का नाम नहीं था और इसे बाद में ही शामिल किया गया. बैठक के बारे में विस्तार से बताते हुए सलीस ने कहा कि ओवैसी की टिप्पणियों पर उनकी कथित चुप्पी पर प्रतिनिधिमंडल ने इंद्रेश को बताया कि ओवैसी समुदाय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते.

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ओवैसी को बीजेपी सांसदों साक्षी महाराज और साध्वी निरंजन ज्योति के बराबर बताते हुए सलीस ने कहा, 'ओवैसी केवल संसद सदस्य हैं.'

- इनपुट भाषा

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