लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने के लिए आगरा में 11 सितंबर से शुरू हुई समाजवादी पार्टी (सपा) की दो दिन की राष् ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुस्लिम नेताओं की नाराजगी से हडक़ंप मच गया.
शुरुआत 10 सितंबर से हुई और बरेली के मुस्लिम नेता और तीन महीने पहले राज्यमंत्री का दर्जा पाए इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगा रोकने में प्रदेश सरकार पर नाकामी का आरोप लगाकर अपनी लाल बत्ती वापस करने का ऐलान कर दिया. मौलना रजा के साथ बरेली के एक और मुस्लिम नेता आबिद अली ने भी इसी आरोप के चलते सपा सरकार द्वारा दिया गया राज्य एकीकरण विभाग में सलाहकार के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.
पश्चिमी जिलों के दो मुख्य मुस्लिम नेताओं द्वारा अचानक मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सपा सरकार को निशाने पर लेने से पार्टी सकते में थी ही कि 11 सितंबर को आगरा के फाइव स्टार मुगल शेरेटन होटल में शुरू हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन प्रदेश सरकार के वरिष्ठतम कैबिनेट मंत्री आजम खान और इनके करीबी राज्यसभा सांसद मुनव्वर सलीम के गायब रहने से सपा में हडक़ंप मच गया.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कार्यकारिणी बैठक में मुस्लिम नेताओं की नाराजगी को नजरअंदाज करने की भरसक कोशिश की और इसके लिए मंच पर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन को भरपूर तवज्जो दी गई. पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने आजम खान या दूसरे नेताओं की नाराजगी के जुड़े मीडिया के सवालों पर कोई टिप्पणी नहीं की. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी ने अब पार्टी के कुछ नए और गैर विवादास्पद छवि वाले नेताओं को आगे करने पर अपना मन बनाया है.
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सचिव बताते हैं कि आने वाले दिनों में पार्टी हर मौके पर अहमद हसन को मुस्लिम नेता के रूप में प्रोजेक्ट करेगी. इसके अलावा पश्चिमी जिलों से आने वाले और सपा सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाए मुस्लिम नेताओं शाहिद मंजूर, रियाज अहमद और कमाल अख्तर को आगे कर मसलमानों के बीच पार्टी की पैठ और मजबूत करने का जिम्मा सौंपा है.
नरम पड़े मुलायम
मुलायम सिंह यादव भले की लोकसभा चुनाव के बाद तीसरे मोर्चे की संभावना जता रहे हों लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन पारित हुए राजनैतिक और आर्थिक प्रस्ताव में तीसरे मोर्चे का जिक्र ही नहीं था. यही नहीं अपने अध्यक्षीय भाषण में भी मुलायम ने सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए बड़े से बड़ा बलदान करने की घोषणा करके 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद के हालातों में कांग्रेस के प्रति नरमी बरतने के संकेत भी कर दिए.
प्रशासनिक जमावड़े पर सवाल
मुगल शेरेटन होटल में दोपहर दो बजे जब सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव, प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे उस दौरान आगरा के डीएम सगीर मंच पर इनके पीछे खड़े थे. यही नहीं आगरा के डीआइजी आशुतोष पांडेय, एसएसपी शलभ माथुर समेत आधा दर्जन सीओ भारी पुलिस बल के साथ पूरे दिन होटल में मौजूद रहे. मुजफ्फरनगर में फैले दंगे की आग से बचने के लिए जिले के सभी आला पुलिस अधिकारियों का दिन भर होटल में मौजूद रहने की विपक्षी पार्टियों ने जमकर आलोचना की है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी बताते हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी की बैठक में जिले के सारे बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की दिन भर मौजूदगी को कतई उचित नहीं कहा जा सकता. वाजपेयी कहते हैं 'एक तरफ तो सपा सरकार अधिकारियों की क्षमता पर सवाल उठाती है तो दूसरी तरफ इन्हें पार्टी के आयोजनों में दिन भर खड़ा रखती है वह भी उस समय जब आगरा के करीबी जिले दंगों की आग में झुलस रहे हों.