मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद अखिलेश सरकार कठघरे में है. मुस्लिम संगठन भी अखिलेश सरकार से नाराज हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अगुवाई में कई मुस्लिम संगठनों ने अखिलेश सरकार के खिलाफ प्रधानमंत्री को खत लिखा है.
मुस्लिम संगठनों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा है कि मुजफ्फरनगर की हिंसा में यूपी की अखिलेश सरकार का भी हाथ रहा है. मुस्लिम संगठनों ने प्रधानमंत्री से अखिलेश सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महमूद मदनी ने बेहद सख़्त बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को इस्तीफ़ा देना चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें हटा दिया जाना चाहिए.
मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार का रुख अखिलेश सरकार पर नरम ही दिख रहा है. गृहमंत्री सुशील शिंदे से लेकर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता भी मुजफ्फरनगर हिंसा के लिए यूपी की अखिलेश सरकार की जगह ढके-छिपे सुर में बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं.
मुजफ्फरनगर में फैले तनाव का साइड इफेक्ट अब समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार के भीतर भी नजर आने लगा है. विरोध की सुगबुगाहट को एक बार फिर से आवाज दी है आजम खान की गैरहाजिरी ने. हालांकि रामगोपाल यादव ने सफाई दी कि आजम खान नाराज नहीं हैं.
सवाल उठ रहे हैं कि जब पार्टी और सरकार की पूरी पलटन आगरा में मौजूद है, तब आजम खान वहां नहीं हैं. बताया जा रहा है कि आजम खान मुजफ्फरनगर की हिंसा के मामले में बरती गई सरकारी लापरवाही से खफा हैं. आगरा में बुधवार को समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 2 दिन की बैठक शुरू हुई है. इस बैठक में मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत तमाम आला नेता शिरकत कर रहे हैं, लेकिन आजम खान बैठक में नहीं पहुंचे.
वजह पता करने की कोशिश की गई, तो बताया गया कि आजम खान की तबीयत नासाज है. उन्हें बुखार है, इसलिए वे मीटिंग में नहीं आए. लेकिन सूत्रों का कहना है कि असल मसला मुजफ्फरनगर का ही है. आजम खान कैबिनेट की पिछली 7 बैठकों में भी शामिल नहीं हुए थे. दरअसल, पहले वे रामपुर के अस्पतालों की बदहाली को लेकर नाराज थे. अब मुजफ्फरनगर में जरूरी कार्रवाई नहीं होने से खफा हैं.
गौरतलब है कि दो दिन पहले आजम ने बयान दिया था कि मुजफ्फरनगर को संभालने में अखिलेश सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई. सूत्रों का यह भी कहना है कि आजम खान पार्टी के भीतर मुस्लिम नेताओं की बेकद्री को लेकर भी नाखुश हैं. लेकिन जब ये बात सुर्खियों में आई, तो पार्टी की तरफ से सफाई भी पेश कर दी गई.
पीएल पुनिया से बात की आजतक संवाददाता संदीप सोनवलकर ने
पीएल पुनिया ने कहा, 'हम सभी लोगों ने ये माना है कि प्रशासन की ढिलाई रही. अगर समय रहते इस पर कार्रवाई हो जाती, तो मामला इतना बढ़ता नहीं. अब ये इतना बढ़ चुका है कि 40 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. अब सरकार समाजवादी पार्टी के हाथ में है, तो उसी को दोष दिया जाएगा.'
पीएल पुनिया ने कहा, 'इसमें बहुत ज्यादा उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं है. कमी है, तो सुधार की कोशिश करें. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए, मगर लापरवाही रही है, तो वैसा कहा ही जाएगा.'