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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बाद अब यूपी के एक और विधायक की सदस्यता जाने के बाद सीट खाली हुई है. दरअसल, बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी की सदस्यता जाने के बाद मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट खाली हो गई है. विधानसभा सचिवालय की तरफ से सोमवार देर शाम इसके लिए सूचना भी जारी कर दी गई है. विधानसभा प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे द्वारा जारी किए आदेश में कहा गया है कि 15 खतौली विभानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विक्रम सिंह निर्वाचित हुए थे. उन्हें मुजफ्फरनगर दंगे में दोषी पाए जाने पर एमपीएमएल कोर्ट द्वारा दो साल की सजा सुनाई गई है. इसके बाद से ही विक्रम सैनी की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है. जिसके चलते 11 अक्टूबर 2022 से उत्तर प्रदेश विधानसभा में विक्रम सिंह का स्थान रिक्त हो गया है.
बता दें की दंगे से पहले 27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर जनपद के कवाल गांव में गौरव और सचिन की हत्या के बाद पुलिस ने खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सहित 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. विधायक विक्रम सैनी सहित इन सभी 28 में से 12 लोगों को 11 अक्टूबर के दिन मुजफ्फरनगर स्थित एमपी एमएलए कोर्ट ने 2-2 साल की सजा सुनाते हुए 10-10 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया है. मामले में सबूत के अभाव में 15 लोगों को बरी कर दिया गया था, वहीं एक शख्स की मौत हो गई थी.
दूसरी बार खतौली विधायक बने थे विक्रम सैनी
खतौली के बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंन पहली बार 2017 में सपा के चंदन सिंह चौहान को 31,374 वोट से हराया था. वहीं 2022 में विक्रम सैनी, रालोद के राजपाल सिंह सैनी को 16,345 वोट से हराकर विजयी हुए थे.
क्या है सीट रद्द होने की प्रक्रिया?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुबातिक दो साल की सजा मिलने पर किसी भी जनप्रतिनिधि की सदस्यता अपने आप ही खत्म मानी जाएगी. सजा मिलने की सूचना नगर प्रशासन द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को दी जाती है. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष मामले में ऐक्शन लेते हैं और तुरंत उस विधायक की सीट खाली होने अधिसूचना जारी कर देते हैं.
क्या था पूरा मामला
मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त, 2013 को गौरव और सचिन नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद दंगा भड़क उठा था. इसे कवाल कांड के नाम से भी जाना जाता है. इस दंगे में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे. मामाले में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश हिमांशु भटनागर ने उस वक्त दंगे के जुर्म में मुजम्मिल मुज्जसिम, फुरकान, नदीम, जांगीर, अफजल और इकबाल को दोषी करार दिया था.